शिवपुरी के 19 जालसाजों को किसकी सरपरस्ती ?

प्रमोद त्रिवेदी, इंदौर। शिवपुरी में 19 लोगों ने कम्प्यूटर के फर्जी डिप्लोमा बनवाए। इसकी बदौलत वे पटवारी के लिए चुन भी लिए गए, लेकिन जब कलेक्टर को संदेह हुआ तो जांच हुई। डिप्लोमा फर्जी पाए गए। डिप्लोमा जारी करने वाला कॉलेज ही फर्जी निकला।

कलेक्टर ने तमाम सबूतों के साथ एसपी को इन 19 उम्मीदवारों और फर्जी प्रमाणपत्र देने वाली संस्था के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी का मुकदमा दर्ज करने को कहा। 3 साल हो गए, न मुकदमा दर्ज हुआ, न आरोपी पकड़े गए। पुलिस ने तो जांच ही शुरू नहीं की। सिर्फ सभी 19 का चयन निरस्त कर दिया गया, लेकिन फर्जीवाड़े की कोई सजा नहीं मिली।

व्‍यापमं ने कराई थी परीक्षा
व्यापमं ने 2008 में पटवारी चयन परीक्षा आयोजित की थी। आवेदकों के लिए कंप्यूटर का डिप्लोमा अनिवार्य था। शिवपुरी जिले के 19 आवेदकों ने छत्तीसगढ़ के एक कॉलेज का कंप्यूटर डिप्लोमा प्रमाणपत्र लगाया। प्रमाण पत्रों पर तत्कालीन कलेक्टर डॉ. आरके जैन को संदेह हुआ तो उन्होंने जांच करवाई। फर्जी प्रमाणपत्र देने वाले रायपुर के महाविद्यालय अंगूरीदेवी मामनचंद ग्लोबल एजुकेशन एवं वेलफेयर सोसायटी के वाइस चेयरमैन सुनील अग्रवाल एवं ग्वालियर के सिम्बोसिस ग्रुप ऑफ कॉलेजेस के निदेशक प्रीतम किरार ने प्रमाणपत्रों को सही ठहराया।

दरअसल, इस मामले से जुड़े 19 आरोपियों में से अधिकतर रसूखदार परिवारों से जुड़े थे। कलेक्टर ने जब इन प्रमाणपत्रों का यूनिवर्सिटी से भौतिक सत्यापन करवाया तो प्रमाणपत्र फर्जी निकले। तब कलेक्टर ने 11 जनवरी 2012 को इन कॉलेजों और 3 जनवरी 2013 को उम्मीदवारों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करने के लिए एसपी को पत्र लिखा।

तत्कालीन कलेक्टर-एसपी को अब कुछ याद नहीं
इस मामले में तत्कालीन कलेक्टर डॉ. आरके जैन ने कहा कि पुराना मामला है, ज्यादा याद नहीं। संभवत: मैंने जांच करवाकर पुलिस को प्रकरण दर्ज करने को कहा था। वहीं तत्कालीन एसपी आरपी सिंह का कहना है कि मेरे समय में प्रकरण दर्ज करने की कार्रवाई चल रही थी, लेकिन इस बीच मैं प्रमोशन के बाद छिंदवाड़ा डीआईजी हो गया। मेरे बाद जो अधिकारी आए, उन्हें मामला दर्ज करना था। वहीं आईजी ग्वालियर आदर्श कटियार का कहना है कि मैंने मार्च में ही ज्वाइन किया है। इस मामले की जानकारी नहीं है।

उज्जैन: ऐसे ही मामले में 45 को हुई सजा
इसी चयन परीक्षा में उज्जैन जिले के 45 उम्मीदवारों के फर्जी प्रमाणपत्र का मामला सामने आने पर न केवल पुलिस ने मामला दर्ज किया, बल्कि पुख्ता सबूत पेश करके धोखाधड़ी करने वाले उम्मीदवारों को न्यायालय से दो से तीन साल की सजा भी दिलवाई।

मामला पुलिस दर्ज करती है
मुझे कुछ नहीं पता। आमतौर पर कलेक्टर केवल एसपी को पत्र ही लिख सकते हैं। पुलिस को जांच में लगता है तो मामला दर्ज कर लेती है। 
राजीव दुबे, कलेक्टर, शिवपुरी

तत्काल करेंगे प्रभावी कार्रवाई
तीन दिन के अंदर पत्र दिखवाकर तत्काल प्रभावी कार्रवाई की जाएगी। 
मो. यूसुफ कुरैशी, एसपी, शिवपुरी

अफसरों से लेंगे जानकारी
तत्काल संबंधित अधिकारियों से जानकारी लेकर सख्त कार्रवाई करवाऊंगा। 
बाबूलाल गौर, गृहमंत्री