शिवपुरी। मड़ीखेड़ा डेम के गेटो के 25 लाख रूपए के फोटो खिचवाने और टेक्ट्रर के रजिश्ट्रेशन नंबर पर जीप का चलाना बताकर लाखों का भुगतान और ऐसे की कई फर्जी बिलों का भुगतान अपने दमाद और भतीजे को करने वाले ईई के खिलाफ तीन साल पूर्व ईओडब्ल्यू ने एड.विजय तिवारी की शिकायत पर मामला दर्ज कर शिकायत को जांच के नाम लटका रखा था।
जलसंसाधन विभाग में कार्यपालन यंत्री के पद पर दो बार रहते हुए करोड़ो का घोटाला करने वाले तत्कालीन ईई अनिल अग्रवाल के खिलाफ 6 अगस्त 2012 को ईओडब्ल्यू भोपाल में एफआईआर दर्ज कर ली गई थी लेकिन ईओडब्ल्यू ने जांच के नाम इस मामले को तीन साल से लटकाए रखा है।
इस मामले के शिकायत कर्ता एड.विजय तिवारी ने हाईकोर्ट में ईओडब्ल्यू के खिलाफ कंटेप्ट पिटीशन दायर कर दी। जिस पर हाईकोर्ट की डबल बैंच ने ने चार माह में जांच पूरा करने के आदेश ईओडब्ल्यू के डीजीपी को दिए है।
हाईकोर्ट ने सरकारी वकील के माध्यम से जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव से लेकर चीफ इंजीनियर व अधीक्षण यंत्री को इस आशय के सूचना पत्र भेजने के निर्देश दिए कि वे इस मामले में ईओडब्ल्यू को सहयोग करे।
इस मामले में शिकायत कर्ता एड.विजय तिवारी का कहना है कि अभी भले की इस मामले में ईओडब्ल्यू ने एफआईआर अकेले ईई अनिल अग्रवाल पर हुई है लेकिन जांच के बाद उनक रिश्तेदार व नौकर तक आरोपी बनेंगें क्योकि उनके नाम पर ही शासकीय मद से लाखो को फर्जी भुगतान किया गया है।
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