आत्मशुद्धि का पर्व है पर्यूषण पर्व

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शिवपुरी। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी जैन श्वेता बर मंदिर पर पर्यूषण पर्व धूमधाम से मनाये जा रहे हैं। प्रतिदिन सुबह 6 बजे से पूजा अर्चना, पक्षाल, आरती के बाद चातुर्मास के लिए पधारे साध्वी मण्डल द्वारा प्रवचन दिये जा रहे हैं। प्रात: 9.15 बजे से चलने वाले इन प्रवचनों में जैन समाज के सभी स्त्री, पुरूष भाग ले रहे हैं।

जानकारी देते हुए समाज के अध्यक्ष दशरथमल सांखला एवं सचिव धर्मेन्द्र गूगलिया ने बताया कि इस वर्ष पर्यूषण पर्व में छत्तीसगढ़ शिरोमणी पदमरत्न विभूषित साध्वी मनोहरश्रीजी म.सा. की सुशिष्या नवकार जपेश्वरी शुभंकराश्रीजी, धर्मोदयाश्रीजी, दयोदयाश्रीजी द्वारा व्या यान दिये जा रहे हैं।

चातुर्मास के बीच आने वाले पर्यूषण पर्व के इन आठ दिनों में साध्वी मण्डल द्वारा धार्मिक क्रियाओं के साथ-साथ अपने प्रवचनों में इन पर्वों को आत्मशुद्धि का पर्व बताया गया है। समाज द्वारा सामूहिक रूप से प्रतिदिन व्रत (एकासने) भी कराये जा रहे हैं। व्रतों के इन आठ दिनों में शाम आरती के बाद भजन आदि का कार्यक्रम भी आयोजित किया जा रहा है।

आठ दिनों में करें दान, धर्म और तपस्या
साध्वी शुभंकरा श्रीजी ने अपने प्रवचनों में कहा कि पर्यूषण पर्व आत्मा के शुद्धिकरण का पर्व है इन आठ दिनों में हमें तपस्या से जुड़े रहकर धर्म और दान सभी करना है। पूरे वर्ष हम प्रतिदिन अपनी दुकानों पर बैठकर माया मोह में पड़े रहते हैं। पर्यूषण पर्व के इन आठ दिनों में माया मोह के छोड़कर हमें दान, धर्म और तपस्या का मार्ग अपनाना है। यदि हम इन आठ दिनों में भी मंदिर आकर भगवान के समक्ष अपनी सालभर की भूलों का प्रायश्चित नहीं कर सके तो हमारा अगला भव कैसा होगा इसे हम स्वयं ही तय कर लें। 
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