जीवन में तप रूपी आराधना मनुष्य को ऊचाई प्रदान करती है: मुनिश्री

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शिवपुरी। मनुष्य में तप का बड़ा महत्व है। साधारण सी मिट्टी जो पद दलिता होती है वह भी जब अग्नि में तपती है तो कलश का या घट का रूप धारण कर लेती है और फि र उसी कलश को मष्तक पर रखा जाता है, उसी प्रकार जो मनुष्य अपने जीवन में तप रूपी आराधना करता है तो वह आध्यात्मिक उँचाइयों को प्राप्त कर लेता है।

उक्त उद्गार स्थानिय महावीर जिनालय में उत्तम मार्दव दसलक्षण धर्म के अवसर पर वहाँ चार्तुमास कर रहे पूज्य आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के परम शिष्य पूज्य मुनि श्री अभय सागर जी महाराज, पूज्य मुनिश्री प्रभातसागर जी महाराज एवं पूज्य मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज ने दिये।

पूज्य मुनि श्री ने अपने प्रवचनों में कहा कि- उत्तम तप धर्म मु यत: मुनियों का ही होता है। वह अपने जीवन में 28 मूलगुणों को धारण करते हुये, 12 उत्तर गुणों के माध्यम से अपने जीवन में तप करते रहते हैं। और आत्मसाधना में लीन रहकर अपनी कर्मो की निर्जरा करते रहते हैं।

जिस प्रकार बर्तन को तपाकर ही दूध गर्म  किया जा सकता और उससे नवनीत की प्राप्ति की जा सकती उसी प्रकार साधक तपाग्नि के माध्यम से साधना करता हुआ एक दिन मोक्ष को प्राप्त कर सकता है। अत: हम भी आज के दिन जीवन में कुछ तप करने का संकल्प धारण करें  और जीवन का कल्याण करें।भारतीय शरीर: भारतीय चिकित्सा पोस्टर का हुआ विमोचन
आज महावीर जिनालय में भोपाल से पधारे प्रसिद्व कवि और डॉ. नरेन्द्र जैन द्वारा तैयार किया गया पोस्टर भारतीय शरीर-भारतीय चिकित्साका विमोचन किया गया। इस पोस्टर सामाग्री में यह बताया गया है कि किस प्रकार दवाओं के माध्यम से माँसाहार हमारे शरीर में पहुँच रहा है।

साथ ही जिन दवाओं में माँस होता है उन दवाओं के सवटीटृयूट क्या होते हैं, जिन्हें लेकर हम माँसाहार के सेवन से बच सकते है। इतना ही नहीं जिन दवाओं में इस प्रकार माँस मिला होता है वह हमारे शरीर के लिये कितनी घातक हैं ये भी जानकारी इस सामाग्री में दी गई है।

उक्त पोस्टर पूज्य आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज एवं पूज्य मुनि श्री अभयसागर जी महाराज की प्रेरणा से तैयार किया गया है। इस अवसर पर डॉ नरेन्द्र जैन का स मान भी चार्तुमास कमेटी के द्वारा किया गया।
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