भोपाल। मप्र राज्य सूचना आयोग ने सूचना का अधिकार अधिनियम के उल्लंघन पर बुरहानपुर नगर निगम आयुक्त एस.के. रेवाल पर 50 हजार रूपये का हर्जाना लगाया है। सूचना आयुक्त आत्मदीप ने यह राषि 7 दिन में अपीलार्थी राघवेंद्र श्रीवास्तव को देने का दंडादेष बुधवार को पारित किया है। यह पहला अवसर है जब आयोग ने अपीलार्थी को जरूरी सूचना से वंचित रखने के दोषी अधिकारी के विरूध्द 50,000 रू. की क्षतिपूर्ति राषि देने का फैसला सुनाया है। एक अन्य प्रकरण में इन्हीं नगर निगम आयुक्त पर 25 हजार रू. का जुर्माना लगाया गया, जिसकी वसूली के लिए सूचना आयुक्त आत्मदीप ने आयुक्त, नगरीय प्रषासन व विकास को निर्देषित किया है।
अपीलार्थी श्रीवास्तव, तदर्थ लेखापाल नगर पालिका, शिवपुरी ने आयोग को बताया कि उनके बाद तदर्थ रूप से नियुक्त एवं दैनिक वेतन भोगी 6 कर्मचारियों को नियमित कर दिया गया, जबकि इनके पहले तदर्थ रूप से नियुक्त अपीलार्थी को नियमित नहीं किया गया। इससे उन्हें काफी नुकसान हुआ है। अपीलार्थी इस अन्यायपूर्ण विसंगति को उच्च न्यायालय में चुनौती देकर शीघ्र न्याय प्राप्त करना चाहता था, जो तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी द्वारा वांछित दस्तावेज समय पर उपलब्ध न कराने के कारण संभव नहीं हो सका। अपीलार्थी के अनुसार यह प्रकरण मात्र दस्तावेजों की प्रति प्राप्त करने का नहीं है, बल्कि अपीलार्थी अपने प्रति हुए अन्याय के परिष्कार के लिए न्यायालय में न जा सके, इस बदनीयत से आगे का मार्ग अवरूध्द करने का प्रकरण भी है। न्यायालय से न्याय पाने के उद्देष्य से उन्होंने आरटीआई के तहत आवेदन 25 अप्रैल 2011 द्वारा यह जानकारी चाही थी;
साढे तीन साल बाद दी जानकारी
तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी व सीएमओ, शिवपुरी एस.के. रेवाल ने अपीलार्थी के सेवा संबंधी हितों को क्षति पहुंचाने की नीयत से जानबूझकर नियत समय-सीमा में यह जानकारी नहीं दी। आयोग के आदेष पर वर्तमान लोक सूचना अधिकारी ने साढे़ तीन वर्ष से अधिक समय बाद अपीलार्थी को यह जानकारी दी। आयुक्त ने 5 माह में 6 बार सुनवाई करने के बाद पारित निर्णय में कहा है कि अपीलार्थी की दलीलें न्यायोचित होने से स्वीकार किए जाने योग्य हैं, जबकि तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी रेवाल द्वारा 4 बार समय लेने के बाद प्रस्तुत किया गया कारण बताओ सूचना पत्र का उत्तर विधि सम्मत न होने से निम्न आधार पर स्वीकार्य नहीं है-उत्तर का अधिकांष भाग तथा जवाब के साथ संलग्न किए गए दस्तावेज प्रस्तुत प्रकरण से संबंधित नहीं हैं। उत्तर में इसका कोई उचित कारण नहीं बताया गया है कि प्रथम अपीलीय अधिकारी के आदेष के बाद भी जानकारी क्यों प्रदाय नहीं की गई। उत्तर में किया गया यह कथन भी विधिसम्मत न होने से मान्य नहीं है कि संबंधित लिपिक व सहायक लोक सूचना अधिकारी द्वारा तत्समय प्रकरण मेरे संज्ञान में न लाने से चूक हुई है, क्योंकि अपीलार्थी एवं प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा प्रकरण तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी के संज्ञान में लाए जाने के बाद भी उनके द्वारा प्रकरण में विधि अनुसार वांछित कार्यवाही नहीं की गई।
विभाग के स्पष्ट आदेष, कदाचरण पर हो कार्रवाई
आरटीआई अधिनियम के प्रावधान एवं मंषानुरूप सूचना के आवेदन का समय सीमा में निराकरण सुनिष्चित करने का दायित्व लोक सूचना अधिकारी का है। इस संबंध में सामान्य प्रषासन विभाग द्वारा जारी परिपत्र दि. 22/04/2006 में भी निर्देषित किया गया है कि यदि लोक सूचना अधिकारी व अपीलीय अधिकारी द्वारा अपने दायित्व का निर्वहन उचित ढंग से नहीं किया जाता है, तो यह कदाचार की श्रेणी में आएगा तथा इसके लिए सक्षम अधिकारी द्वारा अनुषासनात्मक कार्यवाही की जानी चाहिए।
न उपस्थित हुए न ही उत्तर दिया
प्रकरण के तथ्यों से यह सिध्द है कि तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी ने आवेदन का धारा 7 के प्रावधानों के अनुसार निर्दिष्ट समय सीमा में निराकरण नहीं किया। वे उत्तर में इसका युक्तियुक्त कारण बताने में भी विफल रहे हैं। तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी ने प्रथम अपील की कार्यवाही की पूरी तरह अनदेखी की। उन्होंने प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा मांगे जाने पर भी न अपीेल उत्तर प्रस्तुत किया, न सुनवाई में उपस्थित हुए, न अनुपस्थिति का कोई कारण बताया और न ही अपीलीय अधिकारी के आदेष का पालन किया। तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी द्वारा प्रकरण में हर स्तर पर दायित्वहीनता व कर्तव्यविमुखता प्रदर्षित की गई, जो विधि विरूध्द आचरण की श्रेणी में आती है।
सात दिन में मांगा पालन प्रतिवेदन
फैसले में कहा गया है कि उपरोक्त विवेचन के आधार पर तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी एस.के. रेवाल स्पष्ट तौर पर धारा 7 के उल्लंघन के दोषी पाए जाते हैं। आयोग अपीलार्थी के तर्कों से सहमत होते हुए उनकी क्षतिपूर्ति की मांग को वाजिब एवं विधिसम्मत पाता है। अतः आरटीआई अधिनियम की धारा 19 (8) (ख) के अंतर्गत अपीलार्थी को आर्थिक क्षति एवं मानसिक संताप की प्रतिपूर्ति के लिए तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी को आदेषित किया जाता है कि वे आदेष प्राप्ति के 7 दिन के भीतर अपीलार्थी को एकाउंट पेई चैक या डी.डी. के माध्यम से 50,000 रूपये (पचास हजार रूपये) अदा कर आयोग के समक्ष पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करना सुनिष्चित करें।
उल्लंघन पर विभाग को कार्रवाई के निर्देष
उक्त अवधि में अपीलार्थी को बतौर क्षतिपूर्ति 50,000/- रूपये का भुगतान न किए जाने की स्थिति में आयुक्त, नगरीय प्रषासन व विकास, पालिका भवन, षिवाजी नगर, भोपाल को लिखा जाए कि वे अविलंब वांछित कार्यवाही कर तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी से आयोग के उक्त आदेष का यथा शीघ्र क्रियान्वयन कराना सुनिष्चित करें। साथ ही आदेष के बिंदु क्रमांक 5 (ब) के संबंध में नियमानुसार वांछित कार्यवाही करें।
ये मांगी थी जानकारी
-शिवपुरी विकास प्राधिकरण से शिवपुरी नपा में आये कर्मचारियों में से कितने कर्मचारी नियमित किए जा चुके हैं।
-नियमित हुए कर्मचारियों के नियुक्ति आदेश की सत्यप्रतियां।
-नियमित कर्मचारियों की सूची मय पदनाम एवं नियमितीकरण दिनांक तथा क्रमोन्नति दिए जाने की जानकारी।