शिवपुरी। आज सिंध के पानी के लिए जलअंदोलन के तहत धरना प्रर्दशन था और इतने में शिवुपरी के प्यासे कंठो के लिए बुरी खबर आ गई कि इस योजना पर काम कर रही दोशियान कंपनी ने अपने शिवपुरी दफ्तर का समान समेटा और एक गाडी मे भरकर अहमदाबाद भागने की तैयारी कर ली।
लेकिन किसी तरह यह बात नपा के अधिकारियों को ज्ञात हो गया उन्होने किसी तरह इस गाड़ी को फिजीकल चौकी पर रूकबा लिया और इस गाडी से पूरा समान उतरवाकर फिर कंपनी के ऑफिस में रखवा दिया और मकान मालिक से किराए बकाया का बहना बनवाकर मकान मालिक से ताडा जडवा देने के समाचार मिल रहे है।
जानकारी के अनुसार दोशियान कंपनी के दफ्तर में इस समय सिर्फ एक कर्मचारी ही शेष है। कंपनी द्वारा निर्मित कराई गई पानी की टंकियों पर जो सुरक्षा कर्मचारी तैनात हैं उन्हें भी मौखिक रूप से जाने को कह दिया गया है।
बताया जाता है कि सुरक्षा कर्मचारियों को दो माह से वेतन नहीं मिला है। दो दिन पहले कंपनी के कर्मचारी ने अहमदाबाद जाने के लिए बीस हजार रुपये में टबेरा वाहन किराये पर ली। बताया जाता है कि उस टबेरा वाहन में कंपनी की सारी फाइलें रखी गईं और ताला जड़कर उक्त कर्मचारी जब अहमदाबाद जाने की तैयारी कर रहा था उसी समय नगरपालिका अधिकारियों को इसकी भनक लग गई।
नगरपालिका के उपयंत्री ने फिजीकल चौकी के समक्ष उक्त वाहन को रुकवाया और उसमें मौजूद कर्मचारी से जब पूछा कि कहां जा रहे हो तो उसने बताया कि वह एक फाइल लेकर अहमदाबाद जा रहा है जब गाड़ी की तलाशी ली गई तो उसमें पूरा दफ्तर मिला तथा कंपनी की सारी फाइलें उसमें थीं।
उपयंत्री को यह देखकर समझ आ गया कि कंपनी पलायन कर रही है। इसके बाद उपयंत्री गाड़ी में उक्त कर्मचारी को लेकर फिजीकल क्षेत्र स्थित कंपनी के दफ्तर पर पहुंचे और सारी फाइलों को दफ्तर में रखवाया गया। इसके बाद मकान मालिक से कहकर ताले जड़वा दिये गये।
नगरपालिका अधिकारियों का कहना है कि चूंकि दोशियान कंपनी ने मकान मालिक को किराया नहीं दिया है इसी कारण उन्होंने ताले डाले हैं तथा ताले डालने से उनका कोई लेनादेना नहीं है।
पानी लाने की योजना पर मंडराये बादल
बताया जाता है कि दोशियान कंपनी को उसके द्वारा किये गये काम से 14 करोड़ रुपये का अधिक भुगतान हो गया है। वहीं दोशियान कंपनी काम में विलंब के कारण अतिरिक्त राशि की मांग कर रही है। नगरपालिका और दोशियान कंपनी के बीच विवाद न सुलझने के कारण दोशियान कंपनी ने काम शुरू करने से इनकार कर दिया है। इससे जलावर्धन योजना के क्रियान्वयन पर प्रश्रचिन्ह लग गया है।
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