राजनीतिक संकट या जलसंकट: इस वार्ड के निवासी चंदे के पैसे से खरीदगेंं नया पार्षद

शिवपुरी। जलसमस्या को लेकर हर वार्ड में राजनीति हो रही है इसका ताजा उदाहरण वार्ड क्रंमाक 06 में देखने को मिला है,वार्ड पार्षद ने कलेक्टर को इस्तीफा दे दिया है और आरोप लगाया है कि अध्यक्ष कांग्रेस का है इस लिए पार्षदो की सुनवाई नही हो रही है।

तो इधर के वार्ड के कांग्रेसी मानसिकता वाले लोगो को कहना है कि वार्ड पार्षद ही कोई काम नही करना चाहता है इस कारण ही वार्ड पार्षद ने इस्तीफा दिया है। और इस मुद्दे पर और राजनीति हो गई और धीरे से एक प्रेस नोट प्रेस को सरका दिया। इस प्रेस नोट के माध्यम से वार्ड के नेताओ ने कुछ बच्चो से चंदा इकठ्ठा करवाया और कहा कि वार्ड की मोटरे सही करवानी है। पढिए इस राजनीतिक संकट से उपजे जलसंकट का प्लांट प्रेस नोट

वार्ड क्रमांक 06 के पार्षद मंजू द्वारा जिला कलेक्टर के निवास पर दिए गए इस्तीफे के बाद वार्ड में भीषण पेयजल संकट व्याप्त हो गया है। टैंकर बंद है और यदाकदा जब टैंकर आते है तो उस पर दबंग कब्जा कर लेते है और नगर पालिका का ध्यान वार्ड में व्याप्त समस्याओं पर नहीं है। नलकूप मोटरें खराब डली है बूंद-बूंद पानी के लिए वार्डवासियों को संघर्ष करना पड़ रहा है।

भीषण पेयजल संकट में इस्तीफा देने वाले पार्षद के इस कारनामे से नाखुश वार्ड की जनता ने आज पार्षद के इस्तीफा मंजूरी के लिए आज चंदा वसूली की। वार्डवासियों का कहना है कि चंदे में एकत्रित धनराशि से पार्षद के इस्तीफे के बाद वार्ड का प्रभार किसी अन्य को सौंपे जाने की मांग की जाएगी।

नलकूप मोटरें चालू कराई जाएंगी। चौक नालियां खुलवाई जाऐंगी और  पेयजल संकट में वार्डवासियों को छोड़कर हाथ खड़े करने वाले पार्षद के इस्तीफे की मंजूरी के लिए कल से धरना दिया जाएगा। धरना उपरांत  जिला कलेक्टर को अपनी मांग पूर्ति के लिए ज्ञापन भी दिया जाएगा।

इस प्रेस नोट को पढकर बताईये कि पार्षद होता तो क्या वो अपनी जेब से मोटरे सही करवाता,नही करवाता इस काम को नपा के कर्मचारी ही करते सब जितने लोग इस फोटो में दिख रहै है और जो इस फोटो खिचवाते समय कैमरे के पीछे है वे नपाध्यक्ष के पास जाते नपाध्यक्ष ने तो इस्तीफा नही दिया।

इस प्रेस नोट में यह भी लिखा है कि इस चंदे से एकत्र धनरााशि से पार्षद के इस्तीफे के बाद वार्ड का प्रभार किसी अन्य को सौपे जाने की मांग की जाऐगी,मतलब पैसे से कोई पार्षद को खरीदा जाऐगा समझ में नही आया इन वार्ड के अघोषित नेताओ की करतूत, शहर के पत्रकार क्या आख बंद कर प्रेस नोट छापते है कम से कम प्रेसनोट तो किसी पढे लिखे से बनवा लेते पैसा इसी चंदे से दे-देते ौर छोडिए आप तो खबर का आंनद लिजिए कि ऐसे प्रेसनोट भी प्रेसो पर छपने आ जाते है। क्यो कि पैसे से इस्तीफा मंजूर कैसे होता है हम भी देखेगें