बिल ज्यादा आने पर घेरा बिजली विभाग का ऑफिस, नही हो सकी सुनवाई

शिवपुरी। आंकलित खपत के नाम पर विद्युत मण्डल मनमाने बिल उपभोक्ताओं को बांट रहा है। मजे की बात तो यह है कि विद्युत मीटर ठीक ढंग से काम कर रहा है और उसके बाद भी मीटर में दर्ज खपत से दुगुनी राशि तक के बिल उपभोक्ताओं को दिये जा रहे हैं। इससे आक्रोशित सैंकड़ों लोगों ने आज कस्टम गेट स्थित विद्युत मण्डल कार्यालय पर पहुंचकर अपना आक्रोश दर्ज कराया।

 लेकिन उनकी सुनवाई करने के लिए वहां कोई अधिकारी मौजूद नहीं था। वहीं कर्मचारी भी अपनी कुर्सियों से नदारद थे। इक्का-दुक्का कुर्सियों पर ही कर्मचारी मौजूद थे जहां भीड़ के कारण लोगों की समस्याओं का हल नहीं हो पा रहा था।

विदित हो कि बिजली विभाग को लेकर हमेशा से ही लोगों में आक्रोश पनपा रहता है आज सुबह उस समय कस्टम गेट पर स्थित विद्युत कार्यालय पर लोगों की भीड़ एकत्रित हो गई। जहां लोगों की समस्या सुनने के लिए कोई भी मौजूद नहीं था।

मौके पर परेशान हो रहे एक उपभोक्ता एनके शर्मा का कहना था कि मार्च 2015 में उनके मीटर की रीडिंग 5280 ली गई जिसका भुगतान भी वह कर चुके, लेकिन 15 जून को जब उनकी रीडिंग ली गई थी वह 5263 थी इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि विद्युतकर्मी किस तरह अपनी सेवाएं दे रहे हैं और लोगों को हो रही परेशानी के लिए विद्युतकर्मी कितने जि मेदार हैं।

एक उपभोक्ता ऊषा जोशी का कहना था कि 13 मई को उनका बिल 1479 रुपये आया जो आंकलित खपत था जिस पर उन्होंने विभाग के अधिकारी से बिल को संशोधित कराया तो उसके बिल से 755 रुपये की राशि कम कर दी लेकिन जून में जब उसे नया बिल प्राप्त हुआ तो वह संशोधित राशि पैनल्टी सहित नये बिल में जुड़कर आई जिसे कम कराने के लिए वह पांच दिनों से कार्यालय के चक्कर काट रही है।

एक उपभोक्ता राजू माहौर का कहना हे कि बिल देने के लिए उनके पास कोई भी नहीं आता जो कर्मी बिल बांटता है वह लुधावली में स्थित एक जनरल स्टोर की दुकान पर पूरी कॉलोनी के बिल रख देता है जहां से लोग अपने बिल ढूंढते हैं। राजू का कहना है कि उन्हें तो उक्त स्थान का आज ही पता लगा जहां उन्होंने अपना बिल प्राप्त किया और जब उन्हें बिल मिला तो उसमें आंकलित खपत की राशि जुड़ी हुई मिली जिसे वह कम कराने के लिए सुबह से खड़े हुए हैं, लेकिन कोई भी अधिकारी उन्हें नहीं मिला।

ऐसी स्थिति में बड़ी सं या में कार्यालय में भीड़ मची हुई है और लोग आक्रोशित होकर इधर उधर घूम रहे हैं।