आधीरात को होती है पत्थरों और लकड़ियों की तस्करी

शिवपुरी। शहर में बीते लंबे समय से हरे-भरे पेड़ों को काटकर उनका परिवहन निरंतर किया जा रहा है और आधी रात ही अवैध पत्थरों का परिवहन धडल्ले से किए जाने के समाचार मिल रहे है। बताया गया है कि इन अवैध काम की जानकारी वन विभाग और माईनिंग विभाग को भी परन्तु अधिकारियों की सैंटिग से यह काम बडी ही आसानी से किया जा रहा है।

जानकारी के अनुसार वायपास पर प्रतिदिन पत्थर से भरे ओवरलोड ट्रक और ट्रॉलियों में हरी लकडिय़ां अन्य क्षेत्रों से लाई एवं ले जाई जा रही हैं। सुबह 4 बजे से 7 बजे तक प्रतिदिन 50 से 100 गाडिय़ां पत्थरों से ओवरलोड होकर निकलती हैं। 

यह ट्रक अधिकतर धौलागढ़ क्षेत्र से पत्थर भरकर बड़ौदी पत्थर फैक्ट्रियों पर ले जाये जाते हैं। इन ट्रक चालकों के पास किसी भी तरह की रॉयल्टी नहीं होती और जब इनको कोई दबिश देकर रोकता तो वे उसे सुविधा शुल्क देकर आगे बढ़ जाते हैं। ऐसे कई उदाहरण है जिनमें ट्रक चालकों के द्वारा सुविधा शुल्क देते हुए के वीडियो तक बनाये गये हैं। 

पत्थर का कारोबार करने वाले व्यापारियों द्वारा भरे गये इन ट्रकों को पूर्व से ही सुनियोजित तरीके से विभाग द्वारा सांठगांठ कर भेजा जाता है जिसके कारण इन्हें बीच में न तो कोई पुलिसकर्मी रोकता न ही परिवहन विभाग। 

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पत्थर इस खेल में भोपाल तक के तार जुड़े हुए हैं जो यहां के विभागों में पदस्थ अधिकारियों से पैसे व राजनीति की दम पर गठजोड़ बनाये हुए हैं। पत्थरों के साथ-साथ इस क्षेत्र से बहुतायात में लकडिय़ों का भी परिवहन होता है। 

जंगलों से बगैर परमिशन के काटी गई लकडिय़ों को सुबह चार बजे से टालों पर पहुंचाने का कार्य भी इसी रास्ते किया जा रहा है।  ज्यादातर लकडिय़ों की ट्रॉलियां टोंगरा रोड, लालमाटी रोड, दर्रोनी रोड, पोहरी रोड आदि क्षेत्रों से होती हुई वायपास स्थित आरामशीनों पर खफाई जा रही हैं। 

परिवहन पर नहीं वन विभाग का ध्यान
ऐसा नहीं है कि अवैध रूप से काटी जा रही इन लकडिय़ों और इनके परिवहन की वन विभाग के आलाधिकारियों को जानकारी नहीं है, बल्कि सबकुछ जानते हुए भी वे इसको अनदेखा कर रहे है। सूत्रों की मानेंं तो लकडिय़ों के इन कारोबारियों द्वारा वन विभाग के अधिकारियों से सांठगांठ कर ही अपने धंधे को चलाया जा रहा है और इसके ऐवज में वे उनको प्रत्येक माह एक मोटी रकम पहुंचाते हैं जिसके चलते वन विभाग द्वारा सबकुछ जानते हुए भी इसे अनदेखा कर दिया जाता है।