फिर टांय-टांय फिस्स हुआ नपा का अतिक्रमण विरोधी अभियान

शिवपुरी। नगर पालिका प्रशासन द्वारा हर बार की भांति इस बार भी बाद याद निकलने के साथ ही अतिक्रमण विरोधी अभियान की शुरूआत की और इसके लिए बकायदा प्रशासनिक टीम व पुलिस को साथ में लिया गया लेकिन यह अतिक्रमण विरोधी अभियान शुरू भी नहीं कर पाई। कि टांय-टांय फिस्स होकर इस दल को बैंरंग लौटना पड़ा।

सरांय बस्ती में मौजूद लोगों ने इस अभियान का विरोध किया और कहा कि यदि यह मुहिम चलाना ही है तो पहले शहर के बड़े-बड़े धन्नासेठों के यहां से चलाओ जहां लोगों ने मु य रोड़ पर ही कब्जा कर रखा है हम गरीब तो यहां लगभग 100-200 सालों से रहते आए है। ऐसे में पुलिस और जनता के बीच काफी हो-हल्ला तो हुआ लेकिन कार्यवाही आगे ना बढ़ सकी और फिर से इन सरांय बस्ती वालों को अल्टीमेटम देकर यह टीम लौट गई।

बताया जाता है कि आज के इस अ िायान में यह दल पूरी तरह से सरायं बस्ती को मिटाने की योजना बनाकर आया था लेकिन लोगों का विरोध इतना भारी पड़ेगा यह इस दल नहीं सोचा जिसका परिणाम यह हुआ कि दल को बैरंग ही लौटना पड़ा। इस दल में प्रशासनिक टीम के नपा सीएमओ कमलेश शर्मा, तहसीलदार एल.एन.मिश्रा, नायब तहसीलदार माला शर्मा, अश्विनी रावत, नपा के अधिकारी सौरभ गौड़, पुलिस केातवाली टीआई सुनील श्रीवास्वत सहित अन्य प्रशासनिक व पुलिस के कर्मचारी मौजूद थे।

यहां बताना होगा कि विगत 50 वर्षों से सरायं के नाम से जाने जानी वाली बस्ती के निवासियों को आज उजडऩे आई टीम के विरोध में नागरिकों ने ऐतराज जताया और उनका कहना था कि पिछले 200 वर्षों से इस जगह पर रह रहे है उस समय नगर पालिका भी नहीं होती थी हालंाकि हमारे पास कोई कागजात नहीं है लेकिन कामगार काम करने वाले परिवारों को यह जगह वर्षों से मिली हुई है इसलिए यहां हमारे निवास स्थान बन गए है।

 अब अचानक इस तरह की मुहिम चलाने से सरांयवासियों को अपने मकान उजड़ते दिखाई दे रहे है। इन लोगों ने कहा कि आज जब हमारे बच्चे विवाह योग्य हो गये है और उनके लिए दिन रात मेहनत करके हम पूंजी जमा रहे है अब नपा हमें हटाना चाहती है ऐसे में हम कहां जाऐंगें, कानूनी भाषा का हमें ज्ञान नहीं छ: माह पहले नोटिस आए थे लेकिन हमने लेने से इंकार कर दिया था बड़े-बड़े राजनैतिक लोग हमसे वादे करके चले गए तु हारा कुछ नहीं होगा, हम तो नेताओं को अपना सबकुछ मानते है।

लेकिन आज  हमें यह पता चल गया कि नेता भी केवल वोट मांगने के लिए ही आते है, आश्वासनों के कारण हम माननीय न्यायालय नहीं गए, यदि हमें घर से बाहर निकाला गया तो हम आत्महत्या करने जैसा घातक कदम उठाने से पीछे नहीं हटेंगें। इन लोगों का कहना था कि हम हाईकोर्ट को पुन: विचार करने के लिए अपने अभिभाषक के माध्यम से अपील करेंगें और गुहार लगाऐंगे कि वह यदि हमें यहां से हटाऐं तो अन्यत्र स्थान उपलब्ध करांऐं।