शिवपुरी। आज के समय में हम एक-दूसरे को कितना समय दे पाते है यह तो सभी जानते होंगें लेकिन दूसरों के लिए समय देना और दूसरों के लिए जीना स्वयं को आत्मानुभूति के समान होता है श्रीमद् भागवत कथा में बताया गया है कि अपने लिए क्या जीना, जीना है तो दूसरों के लिए जियो, यानि ऐसा कुछ करो कि यह दुनिया आपके कार्यों को सराहे, कथा के अंतिम चरण में सुदामा-श्रीकृष्ण की मित्रता विश्वास की नींव पर होती है।
मित्र ऐसा हो जो कि आपके सुख-दु:ख में हरदम सहभागी हो और मित्रता की पहचान विश्वास से होती है। मित्रता और दूसरों के लिए जीने का यह तरीका बता रही थी देवी कृष्णाकिशोरी जो स्थानीय गांधी पार्क मैदान में 13 से 19 मार्च तक आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन कथा प्रसंग धर्मप्रेमीजनों को श्रवण करा रही थी। कथा के समापन दिन शहर के समाजसेवी, शिक्षक, पत्रकार व अन्य सहयोगीयों को स्मृति चिह्न प्रदान कर स मानित किया गया।
मु य यजमान ओमप्रकाश-श्रीमती कोमल कुशवाह व विशेष यजमान तीन बार राष्ट्रपति पुरूस्कार से अलंकृत व्ही.एस.मौर्य सपत्निक श्रीमती माया मौर्य ने मिलकर गोवर्धन पूजा व रूकमणि विवाह प्रसंग का धर्मलाभ लिया।
इस दौरान कथा में पितरों की आत्मशांति हेतु भी विशेष मंत्रोच्चारण पूजन किया गया जिसे पूर्ण करने में पं.केदार प्रसाद समाधिया, पं.नीलेश शास्त्री, पं.मुकेश शर्मा, पं.रामनिवास दुबे, पं.मनोज पाराशर, पं.महेश कुमार शर्मा, पं.योगेश जी, पं.अर्जुन शास्त्र व पं.उमाकान्त ने कथा के अन्य यजमानों के पितरों को श्रीमद् भागवत कथा का मूल पाठ श्रवण कराया। कथा समापन के दौरान आयोजक श्रीराम परिवार व हरिओमदास जी महाराज ने अंचल के समस्त धर्मप्रेमीजनों व सहयोगियों के प्रति हृदय से आभार व्यक्त किया जिन्होंने तन-मन-धन से इस भव्य आयोजन को संपन्न कराने में अपना योगदान दिया। कथा समापन बाद शुक्रवार को हवन पूर्णाहुति एवं प्रसाद वितरित किया जाएगा।