भाजपा के लिए अशुभ साबित हुई एक्सटेंशन की अध्यक्षी

0
उपदेश अवस्थी@भोपाल। अनुशासन और न्यायप्रियता के नाम पर लोकप्रिय हुई भारतीय जनता पार्टी में पॉवरफुल सीटों पर जुगाड़ियों का कब्जा और रणवीर सिंह रावत की एक्सटेंशन की अध्यक्षी अंतत: अशुभ ही साबित हुई। विधानसभा से लेकर जिला पंचायत तक हर चुनाव में भाजपा का झंडा देश भर में कहीं भी लहराया हो परंतु यहां तो हर बार चीथड़े चीथड़े ही हुआ।

विधानसभा चुनावों में शिवपुरी विधानसभा से यशोधरा राजे सिंधिया जीतीं, लेकिन जो जीत उन्हे हासिल हुई वो शान के मुताबिक तो कतई नहीं थी। इसके बाद बस पौहरी विधानसभा में जीत मिल सकी। पिछोर तो उन्हें हर हाल में हारना था, इसलिए हारे भी लेकिन कोलारस और करैरा तो मुफ्त में गंवा बैठे। पहले मप्र की विधानसभा में शिवपुरी से 4 भाजपा के विधायक जाते थे, अब 2 ही रह गए।

लोकसभा चुनावों में मोदी ने दम लगाया, मोदी का दम काम भी आया लेकिन जीत नहीं दिला पाया। जीत तो ज्योतिरादित्य की ही होनी थी, सो हुई भी। हालांकि इस चुनाव में यह स्पष्ट जरूर हो गया कि ज्योतिरादित्य जीते, सिंधिया हार गए। यह भी इतिहास में दर्ज होने वाला घटनाक्रम रहा।

नगरीय निकाय चुनावों में तो शिवपुरी ने सीधे शिवराज के गाल पर तमाचा जड़ा। पूरे जिले में सारी की सारी सीटों पर मखाने ही मखाने नजर आए। वो तो उधार के प्रत्याशी कोमल साहू ने करैरा में मान बचा लिया नहीं तो भाजपा मुक्त शिवपुरी घोषित हो गई होती।

जनपद पंचायत के चुनावों में भी भाजपा की दुर्गती जारी रही। कुल 8 जनपद पंचायतों में से केवल 3 पर भाजपा सिमटकर रह गई। पूरे मध्यप्रदेश में बर्बाद हो चुकी कांग्रेस यहां 5 सीटों पर जश्न मनाती मिली।

जिला पंचायत के चुनाव में तो गजब ही हो गया। संगठित रहने वाली भाजपा में सिंह और सिंधिया आपस में भिड़ते हुए साफ साफ दिखाई दिए जबकि गुटबाजी के लिए बदनाम कांग्रेस में सिंह और सिंधिया की एकजुटता ने फैसला ही बदल डाला। एक्सपायरी डेट निकल जाने के बाद भी कुर्सी पर जमे जिलाध्यक्ष को पता ही नहीं चल पाया कि कब उनकी पार्टी के जिला पंचायत सदस्य पाला बदल गए। वोटिंग के बाद जांच की दुहाई देते घूम रहे हैं।

कुल मिलाकर शिवपुरी जिले की में जुगाड़ियों की जिद और एक्सटेंशन की जिलाध्यक्षी ने भाजपा को धूल चटा दी। यह जुगलबंदी भाजपा के लिए पूरी तरह से अशुभ रही। आश्चर्यजनक तो देखिए कि सत्तारूढ़ दल के जिलाध्यक्ष महोदय अपने ही परिवार को सरपंच और जिला पंचायत के सदस्य का चुनाव तक नहीं जितवा पाए।

पूरी रिपोर्ट भोपाल पहुंच चुकी है। डाटा बैंक के साथ रावत साहब की कहानी का बिन्दुवार विवरण उपलब्ध है। मोबाइल कॉल डिटेल की जांच भी की मांग की गई है। देखना रोचक होगा कि प्रदेशअध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान इस एक्टेंशन के अध्यक्ष महोदय के मामले में अब क्या निर्णय लेते हैं।

Post a Comment

0Comments

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!