SDM ने निरीह मजदूरों पर दिखाई दबंगी: वसूली की बू

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शिवपुरी। एसडीएम शिवपुरी ने आज निरीह मजदूरों पर दबंगी का खुला प्रदर्शन किया। 4 मजदूरों को गिरफ्तार करवा दिया, लेकिन उस ठेकेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई जिसके आदेश पर मजदूर काम कर रहे थे।

मामला पोलाग्राउंड की शासकीय दीवार को बिना अनुमति तोड़ने का है। अस्पताल भवन का निर्माण करा रहे ठेकेदार जिनेन्द्र जैन के आदेश पर 4 मजदूर पोलोग्राउंड की दीवार तोड़ रहे थे कि तभी एसडीएम के आदेश पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। जबकि आदेश देने वाले ठेकेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

मजदूरों को क्यों किया गिरफ्तार
सवाल यह है कि निरीह मजदूरों को गिरफ्तार क्यों किया गया। यदि एसडीएम यह कहते हैं कि वो शासकीय संपत्ति को नुक्सान पहुंचा रहे थे तो उन्हें यह बता दिया जाना चाहिए कि वो एक शासकीय संपत्ति के निर्माण के लिए ही काम कर रहे थे। मजदूर, मजदूर होते हैं वो नहीं जानते कि किसकी अनुमति मिली है ओर किसकी नहीं। वो ठेकेदार से एनओसी भी नहीं मांग सकते। ऐसी सभी गतिविधियों के लिए ठेकेदार जिम्मेदार होते हैं। कार्रवाई भी उन्हीं के खिलाफ होनी चाहिए। मजदूर तो ऐसे मामलों में सरकारी गवाह हुआ करते हैं परंतु एसडीएम ने मजदूरों को ही गिरफ्तार करवा दिया।

5 महीने पहले किया था अप्लाई, क्यों नहीं दी परमिशन
ठेकेदार जिनेन्द्र जैन का कहना है कि वो जिला प्रशासन से 5 महीने से इस निर्माण के लिए बाउंड्री तोड़े जाने की अनुमति मांग रहे हैं परंतु उन्हें यह अनुमति नहीं दी जा रही है। अब निर्माण कार्य निर्धारित समयावधि में पूरा करना है अत: बाउंड्री को तोड़ना पड़ा। श्री जैन का कहना है कि वो एक शासकीय भवन के निर्माण का काम कर रहे हैं, किसी दुकान या दूसरे हितों के लिए शासकीय संपत्ति को नुक्सान नहीं पहुंचाया गया।

कहीं यह अवैध वसूली का मामला तो नहीं
शासकीय संपत्ति की सुरक्षा प्रशासन की जिम्मेदारी है परंतु बाउंड्री की तुड़ाई शुरू होते ही एसडीएम के पास सूचना पहुंचना, केवल मजदूरों को हिरासत में लिया जाना, ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई का ना करना और ठेकेदार की एप्लिकेशन को 5 माह से पेंडिंग रखना। संकेत दे रहा है कि यह मामला अवैध वसूली का है। यदि नहीं होता तो एप्लिकेशन को तत्काल रिजेक्ट किया जा सकता था। संपति् को नुक्सान के मामले में ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती थी परंतु यह कार्रवाई शासकीय संपत्ति को बचाने के लिए नहीं बल्कि ठेकेदार पर दवाब बनाने के लिए की गई प्रतीत हो रही है।

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