भोपाल। शिवपुरी की जनता को यह समझना शायद बहुत जरूरी है, क्योंकि यदि शिवपुरी के लोगों को यह पता होता तो पिछली नगरपालिका 5 साल पूरे ना कर पाती। उन्हें याद दिलाना जरूरी है कि उनके हाथ में राइट टू रीकॉल का डंडा है। यदि पार्षद मक्कारी करे तो जनता उसे वापस बुला सकती है, नगरपालिका अध्यक्ष को भी हटाया जा सकता है। हरदा में ऐसा हो चुका है।
ऐसे होगा रिकॉल
नगर पालिक निगम विधि संहिता में पार्षद और नपाध्यक्ष के दायित्व और अधिकारों का उल्लेख है। मतदाताओं की कसौटी पर खरे नहीं उतरने पर उन्हें वापस बुलाने का भी जिक्र है। पार्षदों के काम नहीं करने या भ्रष्टाचार करने की शिकायत सबूतों के साथ कलेक्टर को की जा सकती है। शिकायत सही पाए जाने पर संभागायुक्त पार्षद को हटा भी सकते हैं।
परिषद भी हटा सकती है पार्षद को
शिकायत मिले कि पार्षद गलत तरीके से निर्वाचित हुए हैं या उनके आचरण को लेकर गंभीर आरोप हैं तो निगम परिषद भी पार्षद को हटाने का निर्णय ले सकती है। इसके लिए कम से कम दो तिहाई बहुमत से परिषद में निर्णय पारित होना चाहिए।
नपाध्यक्ष को भी वापस बुला सकते हैं
नपाध्यक्ष को भी पद से हटाया जा सकता है। इसके लिए परिषद में पार्षदों की कुल संख्या के कम से कम तीन चौथाई पार्षदों के समर्थन से प्रस्ताव पास होना चाहिए। परिषद द्वारा नपाध्यक्ष को हटाने का प्रस्ताव स्वीकृत करने के बाद राज्य शासन को भेजा जाता है। राज्य शासन इसे निर्वाचन आयोग को भेजता है। जनमत संग्रह को लेकर निर्वाचन आयोग अंतिम निर्णय लेता है। आयोग के निर्णय के बाद मतदान कराया जाता है। वोटिंग खाली कुर्सी और भरी कुर्सी के बीच होती है। प्रस्ताव आगे बढ़ने के लिए कम के कम 50 प्रतिशत मतदान होना अनिवार्य है।
पार्षदों के कर्तव्य और अधिकार
पार्षदों को सम्मेलन में शामिल होने, परिषद के एजेंडे पर बहस में भाग लेने और स्वविवेक से मत देने का अधिकार होता है। पार्षद वॉक आउट नहीं कर सकते, प्रस्ताव पर मत व्यक्त करना उनका कर्तव्य है।
-पार्षदों का कर्तव्य है कि ऐसा कोई भी कृत्य जिससे पालिका की हानि हो, के बारे में सीएमओ और संबंधित विभाग को तुरंत सूचित करें। इन कृत्यों में अवैध निर्माण और अवैध गतिविधियां भी शामिल हैं।
-पार्षदों को हर महीने 6 हजार रुपए वेतन के रूप में मिलते हैं। इसके अलावा 250 रुपए टेलीफोन भत्ता और 225 रुपए बैठक भत्ता के रूप में भी मिलते हैं।
हरदा में कांग्रेस की नपाध्यक्ष को जनता ने वापस बुलाया
हरदा नगरपालिका अध्यक्ष को हटाने के लिए हुए खाली कुर्सी और भरी कुर्सी के चुनाव में खाली कुर्सी की जीत हुई है। अब यहां नगर पालिका अध्यक्ष के लिए चुनाव कराए जाएंगे। कांग्रेस की नपा अध्यक्ष संगीता बंसल के खिलाफ पिछले दिनों अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के बाद खाली कुर्सी और भरी कुर्सी के लिए 31 जनवरी को मतदान हुआ था। इसमें खाली कुर्सी को 13,0 44 मत मिले, जबकि भरी कुर्सी को 9,302 वोट ही मिल सके। इस तरह 3542 वोटों से खाली कुर्सी की जीत हुई है। अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ नपाध्यक्ष हाईकोर्ट भी गई थी परंतु वहां उनकी याचिका खारिज हो गई।
