पोषद भवन में धर्मसभा आयोजित

शिवपुरी। जब तक किसी भी आराधना और साधना में प्रेम की खुशबू नहीं है सहयोग की सुगंध नहीं है और भाईचारे की भावना समाहित नहीं है तब तक उससे कोई लाभ नहीं है। भाईचारा, प्रेम और सहयोग से रहित साधना ईश्वर तक हमें नहीं पहुंचा सकती।

उक्त उद्गार श्रमण संघ के वचनाचार्य उपाध्याय प्रवर डॉ. विशाल मुनि ने आज पोषद भवन में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किये। धर्मसभा में उपप्रवर्तक अभिषेक मुनि ने बताया कि भगवान महावीर ने तपस्या और ध्यान से मोक्ष को प्राप्त किया था। धर्मसभा में उपप्रवर्तनी महासाध्वी सुधा जी महाराज ने गुरू की महिमा का सुमधुर भजन के माध्यम से बखान किया।

शिवपुरी में श्रमण संघ के भीष्म पितामह संत सुमति प्रकाश जी के नेतृत्व में पद बिहार करते हुए 34 जैन साधु-साध्वी कल शिवपुरी पहुंचे। वे इंदौर में आयोजित संत सम्मेलन में भाग लेने के लिये पद बिहार कर रहे हैं इसी क्रम में उन्होंने आज पोषद भवन में शिवपुरी की जनता को धर्मलाभ दिया। श्रमण संघ के वचनाचार्य उपाध्याय प्रवर डॉ. विशाल मुनि ने अपने संबोधन मेें कहा कि भगवान महावीर ने अहिंसा का संदेश दिया, लेकिन जब तक यह संदेश हमारे आचरण में नहीं उतरेगा तब तक उपदेश का कोई अर्थ नहीं है।

उन्होंने स्वीकार किया कि जिस सूक्ष्म तरीके से भगवान महावीर ने अहिंसा को अपने जीवन में उतारा वैसा हमारे लिये संभव नहीं है क्योंकि संसार चलाने के लिये आवश्यक हिंसा करनी पड़ती है, लेकिन आज के संदर्भ में भाईचारा, प्रेम और सहयोग का दूसरा नाम अहिंसा है।

इस संदर्भ में मुनिश्री ने  एक उदाहरण के माध्यम से अपनी बात स्पष्ट करते हुए कहा कि जंगल में अंधेरा हो रहा था और उसी समय एक वाहन चालक की गाड़ी का पेट्रोल खत्म हो गया। उसी समय देवदूत की तरह एक दूसरा वाहन चालक वहां आया और उसने बोतल में भरा हुआ एक लीटर पेट्रोल उस ााई को दिया जिसकी गाड़ी का पेट्रोल समाप्त हो गया था।

 जिससे उसकी जान में जान आई। जब उसने पेट्रोल के पैसे देने चाहे तो जबाव था कि जरूरतमंद के सहयोग के लिये तुम भी अपनी गाड़ी में एक लीटर पेट्रोल भरकर रखना यही इस पेट्रोल का मूल्य है। मुनि श्री ने कहा कि इस तरह से प्रेरित कर हम आपसी भाईचारे और प्रेम की एक चैन बनाकर मानवता की सेवा कर सकते हैं। धर्मसभा में अभिषेक मुनि ने अपने संबोधन में कहा कि ज्ञान दर्शन चरित्र और तप के द्वारा जीवन के चरम लक्ष्य मोक्ष को प्राप्त किया जा सकता है।

उन्होंने अपने प्रवचन में भगवान महावीर की साधना पद्धति को स्पष्ट करते हुए बताया कि ागवान ने तपस्या और ध्यान के द्वारा आत्मिक सिद्धि प्राप्त की। ध्यान से जहां कर्मों का बंध होना रुकता है वहीं तपस्या से पिछले कर्मों की निर्जरा होती है। ागवान महावीर ेने साढ़ेे 12 साल की तपस्या में महज 349 दिन आहार लिया और महज 48 मिनट ही उन्होंने नींद निकाली।

कल मनाया जायेगा गुरू निहाल का जन्मोत्सव
श्रमण संघ के भीष्म पितामह संत सुमति प्रकाश के गुरू संत निहाल का जन्मोत्सव कल 24 जनवरी को पोषद भवन में सुबह साढ़े 9 बजे से मनाया जायेगा। जिसमें उनका गुणानुवाद किया जायेगा। संत अ िाषेक मुनि ने गुरू निहाल के जीवन चरित्र की जानकारी देते हुए बताया कि वह कठोर तपस्वी थे।

एक उपवास फिर दूसरे दिन आहार, तीसरे दिन से दो उपवास और चौथे दिन आहार, पांचवे दिन से तीन उपवास और छठवे दिन आहार इस तरह से 16 दिन तक उपवास की श्रृंखला उन्होंने जारी रखी थी तथा 21 दिन तक निर्जला उपवास भी किया था। गुरू निहाल के शिष्य सुमति प्रकाश जी शिवपुरी में हैं और वह भी कठोर तपस्या कर रहे हैं। 43 साल से वह तपस्वी जीवन व्यतीत कर रहे हैं।