सकारात्मक दृष्टिकोण से जीवन जीकर बना सकते हैं नये साल को सुखमय: साध्वी वैभवश्री

शिवपुरी। नया साल नई उ मीदों और नई आशाओं का वर्ष है। इस वर्ष सकारात्मक दृष्टिकोण से जीवन जीकर और नकारात्मक विचारों को त्यागकर हम अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं। जीवन को नये विश्वास और उच्च भाव के साथ जीयें और हर उपलब्धि के लिए ईश्वर के प्रति कृतज्ञता और धन्यवाद का भाव अदा करें।

उक्त विचार जैन साध्वी वैभवश्री जी ने आज नववर्ष पर पोषद भवन में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किये। भगवान ईसामसीह का उदाहरण देकर उन्होंने सिद्ध करने का प्रयास किया कि सुख और दुख दोनों हमारे हाथ में हैं। हम चाहें तो जीवन को सुखी और चाहे तो जीवन को दुखी बना सकते हैं। धर्मसभा में क्षुल्लिका बहन प्रतिभा पावनी ने भी संबोधित करते हुए कहा कि निद्रा पाप का कारण है जबकि जाग्रत व्यक्ति से कोई गलत काम हो ही नहीं सकता।

जैन साध्वी ने कहा कि सामान्य तौर पर इंसान जो उसे मिला होता है उससे संतुष्ट नहीं होता तथा अभावों का रोना रोता रहता है जबकि सच्चाई यह है कि प्रत्येक व्यक्ति को उसकी पात्रता से अधिक ईश्वर ने दिया है, लेकिन इसके बावजूद भी इंसान के मन में ईश्वर के प्रति धन्यवाद का कोई भाव नहीं है। ईसामसीह के वचन का उदाहरण  देते हुए साध्वी जी ने कहा कि उन्होंने कहा था कि जिसके पास है उसे और दिया जायेगा और जिसके पास कुछ नहीं है उससे छीन लिया जायेगा। 

इसका सीधा अर्थ है कि जो व्यक्ति ईश्वर के प्रति अनुग्रह का भाव रखता है और जो कुछ उसे मिला है उसके प्रति धन्यवाद व्यक्त करता है उसके लिए उपलब्धियों का मार्ग निरंतर खुला रहता है तथा जो शिकायत करता है उसे फिर कुछ नहीं मिलता। साध्वी जी ने कहा कि जीवन में सुखमय हो इसके लिए आवश्यक है कि हमारे मन में सकारात्मक भाव हों। विश्वास गुरू  और परमात्मा के प्रति होना चाहिए। ईसा मसीह उन लोगों के दुखों को हर लेते थे जो उनमें विश्वास रखता था। 

साध्वी जी ने कहा कि शिवपुरी में प्रथम बार आई, लेकिन गुरू के प्रति विश्वास के कारण अपरिचित होते हुए भी यहां के लोगों का हमें भरपूर सहयोग मिला। ऐसा लगा कि इन लोगों से जन्म-जन्म का नाता है। नये साल को सुखमय बनाने का एकमात्र सूत्र यही है कि हम सकारात्मक भाव मन में धारण कर जीवन जीयें। इस अवसर पर स्थानक में शांतिपाठ का भी आयोजन किया गया जिसमें बड़ी सं या में जैन धर्माबलंबी उपस्थित रहे।