क्षमा कीजिए श्रीमंत, इस बार बधाई नहीं दे पाएंगे

उपदेश अवस्थी@लावारिस शहर। प्रिय, ज्योतिरादित्य जी सिंधिया, आज आपका जन्मदिवस है और इस दिन तो दुश्मन भी बधाई की औपचारिकताएं पूरी कर देते हैं। पंरतु क्षमा करें श्रीमंत, हम आपको दुश्मन नहीं हैं, इसलिए कोई झूठी औपचारिकता पूरी नहीं कर पाएंगे। इस बार हम आपको बधाई नहीं दे पाएंगे।

ना जाने क्यों, दिल कहता है कि आप बधाई की पात्रता खोते जा रहे हैं। इतना कमजोर सिंधिया तो हमने कभी नहीं देखा था। हम तो उस सिंधिया परिवार सम्मान किया करते हैं जिसके एक इशारे पर देश भर के तमाम उद्योगपति शिवपुरी की सड़कों पर घूमते हुए नजर आए थे। हम आज भी उस सिंधिया को अपना आदर्श मानते हैं जिन्होंने मात्र 15 साल में पहाड़ पर बसे एक जंगल को शहर बना दिया था। चमचमाता हुआ शिवपुरी शहर। जिसमें सड़कें थीं, रेल की पटरी थी, कुएं, बाग बगीचे और तालाब थे। चारों ओर खुशहाली ही खुशहाली थी।

हम तो उस सिंधिया परिवार को जानते हैं जिनके पास जनता की हर समस्या का समाधान था, एक ऐसा राजपरिवार जो अपनी जनता की फिक्र किया करता था, जिसके दरबार से जनता कभी खाली हाथ नहीं लौटती थी। क्या काश्तकार और क्या साहित्यकार, सबकी व्यक्तिगत समस्याएं भी जिस दरवाजे पर जाकर दूर हो जाया करती थीं।

हम तो उस सिंधिया परिवार को जानते हैं जिसकी महारानी ने जनता के हित के लिए राजमहल छोड़ राजनीति में कदम रखा और एक सन्यासन का वेश धारण कर पूरा जीवन जनहित में गुजार दिया। जिसने जनहित के संकल्प को कभी नहीं भुलाया, तब भी नहीं जब उन्हें जेल में डाल दिया गया। आपातकाल भोगा लेकिन अपना अभियान नहीं रोका।

अब ये सबकुछ क्या हो रहा है समझ ही नहीं आ रहा। वो इलाका जो मात्र 15 साल में जंगल से चमचमाता शहर बन गया था, पिछले 15 साल में फिर से जंगल बनता जा रहा है। नई सड़कें तो क्या, 1915 में बनीं सड़कें भी शेष नहीं बचीं हैं। हवाई अड्डे की क्या बात करें, रेल यातायात के हालात ही खराब हैं। एक अदद सिंध का पानी नहीं ला पा रहे सिंधिया को अब क्या बधाईयां दें।

जैसे तैसे तीन कॉलेज मिले थे, अब वो भी शिफ्ट हो रहे हैं। यूपीए सरकार के समय शिवपुरी को कॉलेजों की परमिशन मिलना कोई बहुत बड़ी उपलब्धि नहीं थी। मप्र में आधा दर्जन मेडिकल कॉलेज स्वीकृत हुए थे, केन्द्र में आपकी सरकार थी, ऐसे में यदि कमलनाथ और सिंधिया के शहरों में ही कॉलेज ना होते तो कितने धिक्कार की बात होती। खैर, फिर भी स्वीकृति लाए, धन्यवाद! भूमिपूजन किया, आभार, लेकिन अब उन कॉलेजों को तो बचाइए।

केवल लोकसभा में सवाल उठाने, सीएम शिवराज सिंह चौहान के मुलाकात का समय मांगने भर से तो कॉलेज नहीं बच सकते। यह सबकुछ तो हमारे माखनलाल भी कर लेते हैं। आप सिंधिया हैं, श्रीमंत हैं। हम आपसे प्रयासों की नहीं, समाधान की अपेक्षा रखते हैं। समय शक्तिप्रदर्शन का है। आपको नेतृत्व करना होगा, जितने बदतर दिन आपकी शिवपुरी भोग रही है, अब इससे बदतर कुछ नहीं हो सकता। इसलिए आगे बढ़ना होगा। NFL की टीस आज भी रह रहकर चुभती है। अब मेडिकल कॉलेज का घाव सहन नहीं कर पाएंगे।

अब तो बधाई तभी देंगे, जब आप ये जंग जीत जाएंगे।