सिंधिया इफेक्ट: 26 जनवरी को सम्मानित किया, 28 को सजा दे दी

शिवपुरी। शिवपुरी के सरताज विकास के मामले में गंभीर हों या ना हों, उनकी शान में गुस्ताखी करने वालों को सजा देने के मामलों में शिद्दत से शामिल होते हैं। फिर चाहे नियमों को ही क्यों ना तोड़ना पड़ जाए। यहां बात थाना कोतवाली के टीआई योगेन्द्र सिंह जादौन की हो रही है। जिन्हे आज लाइन हाजिर कर दिया गया है, जबकि 26 जनवरी को उन्हें सम्मानित किया गया है। बताया जा रहा है कि यह सिंधिया इफेक्ट के कारण हुआ है।


कोतवाली टीआई जादौन को हटाए जाने को लेकर अलग अलग चर्चाए है बताया गया है कि वह भाजपा की राजनीति के शिकार हुए है, चर्चाओ में कहना है कि शिवपुरी विधायक यशोधरा राजे सिंधिया के कृपा पात्र एक समाज सेवी की अर्दली से इंकार करने पर टीआई को यह सजा सुनाई गई है।

बताया जा रहा है कि इन समाज सेवी ने टीआई योगेन्द्र जादौन पर कोई ऐसे काम का दबाव डाला जो जिसकी इजाजत कानून नहीं देता और कानून को नजरअंदाज करते हुए उसे करना मुश्किल था। बस फिर क्या था, 26 जनवरी को जिस टीआई को अच्छे काम के लिए सम्मानित किया गया, 28 जनवरी को उसी टीआई को वैसे ही दूसरे अच्छे काम के कारण लाइन हाजिर कर दिया गया।

टीआई योगेन्द्र सिंह जादौन पुलिस महकमे में साफ-स्वच्छ छबि के माने जाते हैं। कोतवाली टीआई के रूप में उन्होंने अपनी निर्विवाद कार्यप्रणाली से अच्छी खासी ख्याति अर्जित कर ली थी।

इस पूरे घटना क्रम में पुलिस विभाग के अंदर चर्चा है कि ऐसे निर्विवाद कार्यप्रणाली वाले अफसरो को नेताओ की चमचागिरी पर हटा दिया जाऐगा तो पुलिस महकमे मेें ईमानदारी से काम करने वाले अफसरो का मनोवल में कमी आऐगी ये संदेश कैसे भी समाज हित में नही होगा।

सरकारी दस्तावेजों में कुछ भी दर्ज किया गया हो परंतु इस मामले में कानाफूसी तो यह है कि विधायक यशोधरा राजे सिंधिया की नाराजगी के चलते टीआई के खिलाफ कार्रवाई की गई है। यदि यह सही है तो समाज में यह संदेश सिंधिया के लिए कतई हितकर नहीं होगा। यहां लोग डंडे झंडे नहीं उठाएंगे परंतु नंबर लगातार कम हो रहे हैं। मंत्रीपद के फायदे कम, नुक्सान ज्यादा दिखाई दे रहे हैं। बेहतर होगा, विधायक यशोधरा राजे सिंधिया इस मामले में स्थिति स्पष्ट करें, बताएं कि यदि उन्होंने टीआई को दण्डित करने के लिए निर्देशित किया था तो क्यों और यदि नहीं तो स्पष्ट करें कि यह अफवाह मात्र है और वो अपने किसी भी समर्थक के भड़काने पर प्रशासनिक कर्मचारियों के कामकाज में दखल नहीं देतीं।