चुनाव परिणामों को लेकर भाजपा-कांग्रेस में चल रहा मंथन

शिवपुरी। जिले की चार नगर पंचायतों में भाजपा को हुए नुकसान और कांग्रेस को हुए फायदे को लेकर दूसरे चरण की मतगणना को लेकर दोनों पार्टियां सतर्क हो गई हैं। वहीं कल आए चुनाव परिणामों को लेकर भाजपा में मंथन का दौर चालू है जबकि कांग्रेस तीन नगर पंचायतों पर अपना कब्जा करने के बाद शिवपुरी, पिछोर और बदरवास नगर पंचायत पर कब्जा जमाने के लिए आश्वस्त नजर आ रही है।

ऐसी स्थिति में यह सवाल उत्पन्न हो गया है कि आनी वाली 7 दिस बर को किसके सिर पर नगर की सत्ता का ताज होगा और कौन विपक्ष की भूमिका अदा करेगा? इसे लेकर नगर के हर व्यक्ति की नजर 7 दिस बर पर टिकी हैं।

नगरीय निकाय के प्रथम चरण के 28 नवंबर को हुए मतदान की मतगणना गत दिवस 4 दिस बर को हुई। जिसमें कोलारस, खनियांधाना और बैराड़ में कांग्रेस ने अपना दबदबा बनाया। वहीं करैरा में भाजपा ने अपना परचम लहराया, लेकिन वहां कांग्रेस की विधायक होने के बावजूद भी कांग्रेस का वहां से सूपड़ा साफ हो गया और कांग्रेस एक भी पार्षद पद हासिल नहीं कर पाई। यह परिणाम दोनों पार्टियों के लिए चिंता का विषय है।

कोलारस में भी कांग्रेस ने अध्यक्ष के पद के अलावा दो पार्षद पद जीते हैं और वहां भाजपा और निर्दलीय पार्षदों की सं या बराबर रही। बैराड़ में भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन कांग्रेस के लिए अच्छी बात यह रही कि वहां उनकी पार्टी की अध्यक्ष विजयी रहीं। जबकि पार्षद पदों पर कांग्रेेस के दो पार्षद निर्वाचित हुए। वहीं भाजपा में एक पार्षद विजयी रहे और वहां सबसे ज्यादा निर्दलीय पार्षदों की सं या के साथ-साथ सपा और बसपा के पार्षद बने।

लेकिन इससे हटकर खनियांधाना में कांग्रेस ने अपना एकछत्र राज स्थापित किया और वहां से भाजपा को मुंह की खानी पड़ी। जहां भाजपा सिर्फ एक पार्षद पद पाकर सिमट गई। इन चारों नगर पंचायतों में दोनों पार्टियों ने गहन चिंतन शुरू कर दिया है और अब उनकी निगाह दूसरे चरण की मतगणना में एक नगरपालिका सहित दो नगर पंचायतों पर टिकी है। जहां दोनों पार्टियां अपनी-अपनी जीत के लिए आश्वस्त हैं, लेकिन भाजपा और कांग्रेस दोनों कल आए परिणामों को लेकर चिंतित जरूर हैं।

कल के परिणामों ने सभी सर्वे नकार दिए और उससे हटकर जो परिणाम आए वह चौकाने वाले हैं। जहां मतदाताओं ने पार्टियों पर भरोसा न कर निर्दलीयों पर अत्यधिक भरोसा किया है। अगर यही स्थिति शिवपुरी नगरपालिका में रही तो भाजपा और कांग्रेस को भारी नुकसान हो सकता है। यहां तक कि शिवपुरी नगरपालिका में त्रिकोणीय संघर्ष में किसका भाग्य चमकेगा? यह 7 दिस बर को पता चलेगा। लेकिन शिवपुरी की सत्ता का सवाल अभी सवाल ही है।

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