तिलतिल कर मरते धर्मेन्द्र को शाकाल का सहारा

शिवपुरी। फतेहपुर निवासी धमेन्द्र ओझा जो अपनी दोनों किडनियों के खराब होने के बाद आज मुफलिसी की कगार पर आकर अपने घर का एक-एक सामान रकम पात सब बेच चुका है और अब तिलतिल मरते धमेन्द्र को किसी का सहारा न मिला तो आदमियों से भरे इस शहर में एक इंसान ने मानवीय संवेदना को सर्वोपरि मानते हुए नर सेवा का जो प्रण लिया था आज वही इंसान धमेन्द्र की नि:शुल्क सेवा यानी की अपनी शरीर की एक किडनी देने के लिए तैयार है जिसके अभाव में भी वह जीवन जी सकता है धर्मेन्द्र के बारे में पता चलने के बाद यह इंसान बिना किसी दवाब या परेशानी के अपने स्व विवेक से ही निर्णय लेते हुए अपनी एक किडनी धर्मेन्द्र को देने के लिए तैयार है।
जबकि धर्मेन्द्र के  बारे में बतायें तो इलाज तो इलाज अब घर में खाने का संकट भी पैदा हो गया है। मां, पत्नी और दो बच्चों का भरण-पोषण उसके जि मे है। लेकिन कमाई के नाम पर फूटी कोड़ी भी अब उसके पास नहीं बची है। पिछले चार महीनों से वह पलंग से उठ भी नहीं पा रहा। लेकिन तमाम प्रयासों के बाद भी उसे अब तक कोई सरकारी मदद नहीं मिली है। समाजसेवियों के हाथ भी धर्मेन्द्र का जीवन बचाने के लिए आगे नहीं बढ़े हैं। जैसे-जैसे धर्मेन्द्र के जीवन की र तार कम होती जा रही है वैसे-वैसे उस पर आश्रित उसकी मां, पत्नी और दो बच्चों का जीवन भी कु हलाता जा रहा है। वर्मा कॉलोनी एबी रोड पर तीन हजार रूपये माह किराए की दुकान संचालित कर धर्मेन्द्र झा उर्फ बल्ले मिस्त्री चार पहिया वाहनों की रिपेयरिंग का काम कर अपना घर परिवार वर्षों से चला रहा था। घर-गृहस्थी सुख से चल रही थी। परिवार के नाम पर मां का प्यार था, पत्नी का प्रेम था और दो छोटे-छोटे बच्चे थे लेकिन उसके इस सुख को किसी की नजर लग गई।  

इसी बीच उसे वीपी की शिकायत हुई और उसने ग्वालियर के डॉ. मनीष गुप्ता के यहां अपना इलाज कराया। काफी समय तक दवा लेता रहा। लेकिन वीपी 250 से कम नहीं हुआ। काफी समय तक दवा लेने के बाद जब उसे आराम नहीं मिला तो उसने इंदौर में राजश्री हॉस्पीटल में इलाज कराया। जहां उसे डॉक्टर ने बताया कि उसकी दोनों किडनियां खराब हो गई हैं। इसके बाद उसने सफदरगंज अस्पताल दिल्ली और ए स में अपना चैकअप कराया। लेकिन अब धर्मेन्द्र अब बुरी तरह हार कर पेरेशान हो चुका है ऐसे में इस संबंध में जब जन सेवा मेल की टीम ने धर्मेन्द्र की मदद के  लिए राजू शाकाल से बात की तो वह मदद करने के लिए तैयार भी हो गया।

राजू ने अपने शब्दों में जो कहा वह किसी के रोंगटे खडे कर देने के लिए पर्याप्त है राजू ने कहा कि वह भी गरीब है और तंगहाली में जीवन जी रहा है मैं तो भगवान से प्रार्थना करता हूूॅ कि यदि मेरे शरीर का कोई भी अंग धर्मेन्द्र के काम आ सके तो मैं धन्य हो जाउगा और यदि आने वाले समय में भगवान ने मेरा साथ दिया तो मैं मुफलिसी में जीवन जी रहे धर्मेन्द्र की आर्थिक सहायता भी करूंगा ।

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