जब बेटी ने पुत्र का फर्ज निभाकर पिता की देह को दी मुखाग्नी

शिवपुरी। शहर के पुरानी शिवपुरी क्षेत्र में निवासरत विजय विनायक करकरे का ल बी बीमारी के बाद गुरूवार को निधन हो गया। श्री करकरे के यहां पुत्र न होने के कारण उनकी पुत्री कु. रूचिका करकरे ने पुत्र के स्थान पर शव यात्रा में शामिल होकर मुक्तिधाम पर पिता को मुखग्नि दी।
पुरानी शिवपुरी क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 23 में जैन मंदिर के पास रहने वाले विजय विनायक करकरे उम्र 57 वर्ष को एक वर्ष पहले कैंसर हो गया था। वह कैंसर की बीमारी का उन्होंने दिल्ली एवं ग्वालियर में उपचार भी कराया लेकिन, दो दिन पहले उनकी हालत काफी बिगडऩे लगी। ऐसी स्थिति में परिवार बालों ने उन्हें ग्वालियर में भर्ती कराया। गुरूवार की सुबह 10 बजे उन्होंने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। 

स्व. करकरे के यहां पत्नि सहित दो पुत्रियां रूचिका व कृतिका है। पुत्र न होने का अभाव इस परिवार में महसूस किया गया। लेकिन बड़ी पुत्री  रूचिका जो कि बैंगलौर में रहकर एक निजी कंपनी में प्रायवेट नौकरी कर रही है जबकि छोटी बेटी कृतिका भोपाल में बीएससी फाईनल का शिक्षा प्राप्त कर रही है। कल जब पिता का साया इनके सिर से उठा तो परिवार एवं शुभ चिंतकों में शोक की लहर छा गई। हालांकि श्री करकरे के तीन भाई हैं। जब शव यात्रा की तैयारी चल रही थी उसी समय विजय करकरे के पार्थिव शरीर को मुखग्नि देने की चर्चा हुई इसी बीच परिवार वालों ने एवं महाराष्ट्र समाज के गणमान्य लोगों ने पुरानी परंपरा को नजर अंदाज करते हुए निर्णय लिया कि उनकी पुत्री के द्वारा दाह संस्कार की सभी रस्मोरिवाजें पुरी की जाऐं।

महाराष्ट्र समाज ने शोक सभा आयोजित की
मुक्तिधाम स्थित श्रद्धांजलि भवन में महाराष्ट्र समाज शिवपुरी ने विजय करकरे के निधन पर शोक सभा का आयोजन किया। समाज के ट्रस्ट के पूर्व अध्यक्ष व्हीआर अ यंकर ने कहा कि श्री करकरे महाराष्ट्र समाज के सक्रिय व्यक्ति थे। मध्य प्रदेश राज्य परिवहन निगम शिवपुरी में कार्यरत रहने के दौरान भी उन्होंने सराहनीय सहयोग किया था। समाज उनके दु:खद निधन पर गहन शोक व्यक्त करता है। शोक सभा में महाराष्ट्र समाज के अध्यक्ष विनय राहुरीकर, शरद जावड़ेकर, एम.आर नेवासकर, श्रीकांत तेलंग, डॉ. एनव्ही मुले, केआर रत्नाकर, अविनाश जावड़ेकर, लक्ष्मण मरकले, विकास तीसगांवकर, अभिनाश फालने, पुरूषोत्तम उमड़ेकर, जयंत ब क्षी आदि शामिल थे।


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