पर्सनल्टी डबल्पमेंट वर्कशॉप में सिखाई जीवन जीने की कला

शिवपुरी। साध्वी वैभवश्री जी म.सा. के सानिध्य में डॉ. प्रतिभा द्वारा चलाये जा रहे पर्सनल्टी डबल्पमेंट वर्कशॉप का आज पहला दिन था। जैन समाज ने इस वर्कशॉप में जीवन जीने की कला को सीखा। व्यायाम के साथ शुरू हुई इस वर्कशॉप में डॉ. प्रतिभा द्वारा शरीर के साथ-साथ दिमाग को कैसे बढ़ाया जा सकता है इसकी जानकारी दी गई।

उन्होंने कहा कि हमें अपने शरीर के प्रत्येक अंग को उसके कार्य के लिए धन्यवाद देना चाहिए और साथ ही जब भी हम आइना देखें तो अपनी तारीफ जरूर करें। खुशहाल रहने का सबसे बड़ा मंत्र है दूसरों की तारीफ करने के साथ-साथ अपनी स्वयं की तारीफ करना।

वर्कशॉप के पहले दिन डॉ. प्रतिभा जो कि केवल इसी वर्कशॉप के लिए कानपुर से आई हैं, ने कहा कि आज के परिवेश में हमने अपने जीवन को अपने कार्यों के साथ इस तरह जोड़ लिया है कि यदि हमें कहीं दर्द भी होता है तो हम उसे अपने जीवन का हिस्सा समझने लगते हैं, ऐसा नहीं है यदि हम अपने कार्यों के साथ-साथ अपनी दैनिक दिनचर्या में कुछ ऐसे व्यायाम जोड़ दें तो शरीर के दिनभर की थकावट को दूर करते हैं तो आप मुस्कुराते हुए अपने दैनिक कार्यों को कर सकेंगे।

उन्होंने यह भी कहा कि व्यायाम की कोई उम्र नहीं होती है। व्यायाम तो शरीर को ढीला छोड़कर किया जाता है और मानसिक और शारीरिक थकावट दूर करने के लिए कई ऐसे सरल व्यायाम हैं जो प्रत्येक उम्र का व्यक्ति चाहे वह महिला हो, पुरूष हो अथवा बच्चा कर सकता है। व्यायाम करने से शरीर के सबसे अहम हिस्से मस्तिष्क में हल्कापन आता है जो सारे कामों को सरलता से करने का आदेश देता है।

हम अपने शरीर के प्रत्येक हिस्से को उसके कार्य का धन्यवाद देकर सोयें। इस कार्यशाला में क्षुल्लिका प्रतिभा पावनी ने भी ऊँ ह्वीं अर्हं नम: एवं नमोकार मंत्र का जाप करवाकर सांस अंदर-बाहर करते हुए व्यायाम कराये। कार्यक्रम में लगभग 70 प्रतिभागियों ने सशुल्क भाग लेकर जीवन जीने की इस कला को सीखा।

आज होंगे जेल में प्रवचन
कैदी बंदी गृह (जेल) में कैदियों को सामाजिक कार्यों से जोडऩे एवं पाप में है बुराई के विषय पर प्रवचन साध्वी वैभवश्री जी म.सा. द्वारा दिये जाएंगे। 30 दिस बर को दोपहर 2.30 बजे से 3.30 बजे तक चलने वाले इन प्रवचनों में कैदियों को उनके व्यवहार को सुधारने का प्रयास किया जायेगा।