अब तो मदद करो सरकार: मौत के मुंह तक पहुंच गया है 4 साल से बीमार धर्मेन्द्र

शिवपुरी। प्रदेश की संवेदनशील सरकार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के राज में चार साल से बीमार शिवपुरी के फतेहपुर रोड निवासी धर्मेन्द्र ओझा उर्फ बल्ले मिस्त्री शनै-शनै मौत के मुंह में जाता जा रहा है। किडनी खराब होने के कारण हर माह 15 हजार से अधिक खर्च कर डायलसिस कराने के कारण घर की सारी रकम बिक गई है। यहां तक कि उसने अपनी मोटरसाइकिल भी बेच दी है। इलाज तो इलाज अब घर में खाने का संकट भी पैदा हो गया है।

मां, पत्नी और दो बच्चों का भरण-पोषण उसके जिम्मे है लेकिन कमाई के नाम पर फूटी कोड़ी भी अब उसके पास नहीं बची है। पिछले चार महीनों से वह पलंग से उठ भी नहीं पा रहा। लेकिन तमाम प्रयासों के बाद भी उसे अब तक कोई सरकारी मदद नहीं मिली है।

समाजसेवियों के हाथ भी धर्मेन्द्र का जीवन बचाने के लिए आगे नहीं बढ़े हैं। जैसे-जैसे धर्मेन्द्र के जीवन की र तार कम होती जा रही है वैसे-वैसे उस पर आश्रित उसकी मां, पत्नी और दो बच्चों का जीवन भी कुम्हलाता जा रहा है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्मा कॉलोनी एबी रोड पर तीन हजार रूपये माह किराए की दुकान संचालित कर धर्मेन्द्र झा उर्फ बल्ले मिस्त्री चार पहिया वाहनों की रिपेयरिंग का काम कर अपना घर परिवार वर्षों से चला रहा था। घर-गृहस्थी सुख से चल रही थी।

परिवार के नाम पर मां का प्यार था, पत्नी का प्रेम था और दो छोटे-छोटे बच्चे थे लेकिन उसके इस सुख को किसी की नजर लग गई।  इसी बीच उसे वीपी की शिकायत हुई और उसने ग्वालियर के डॉ. मनीष गुप्ता के यहां अपना इलाज कराया।

काफी समय तक दवा लेता रहा। लेकिन वीपी 250 से कम नहीं हुआ। काफी समय तक दवा लेने के बाद जब उसे आराम नहीं मिला तो उसने इंदौर में राजश्री हॉस्पीटल में इलाज कराया। जहां उसे डॉक्टर ने बताया कि उसकी दोनों किडनियां खराब हो गई हैं।

इसके बाद उसने सफदरगंज अस्पताल दिल्ली और ए स में अपना चैकअप कराया। जहां डॉक्टरों ने उसे डायलसिस कराने की सलाह दी और उसने डायलसिस करानी शुरू की। ह ते में दो बार उसकी डायलसिस ग्वालियर में हो रही है। इनमें से तीन हजार रूपये डायलसिस का खर्च और एक हजार रूपये उसे वाहन में खर्च करने पड़ रहे हैं।

बीमारी के कारण वह दुकान पर नहीं बैठ पा रहा। उसकी मां सुशीला ओझा और पत्नी माला ओझा ने  रकम सहित घर का सारा सामान बेच दिया।  धर्मेन्द्र के इलाज के साथ-साथ उसके दो छोटे-छोटे बच्चे माधवी और देवराज ओझा की पढ़ाई-लिखाई के लिए भी उनकी मां और दादी छोटो-मोटा काम कर संघर्ष कर रही हैं।

इतनी दयनीय स्थिति में एक भरापूरा परिवार बीमारी के कारण सड़क पर आ गया है। डॉक्टरों ने बताया कि किडनी बदलने के लिए साढ़े सात लाख रूपये का खर्चा आएगा, लेकिन धर्मेन्द्र के पास अब तो साढ़े सात रूपये भी नहीं बचे हैं। ऐसे में सरकारी और समाज की सहायता से ही उसके जीवन की डोर बच सकती है।

उद्योग मंत्री यशोधरा राजे से लगाई मदद की गुहार
धर्मेन्द्र व उसकी मां सुशीला और पत्नी माला ने प्रदेश की उद्योग मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया से मदद की गुहार लगाई थी और उन्हें एक आवेदन भी सौंपा है। जिस पर उद्योग मंत्री ने उन्हें मतगणना के बाद सहयोग का आश्वासन दिया है और उनके स्वस्थ होने की कामना भी की है।

डॉक्टरों ने बताया वीपी और दवाओं के ओवर डोज के कारण खराब हुई किडनी
धर्मेन्द्र ने बताया कि ग्वालियर के डॉक्टर ने सिर्फ उसे वीपी की दवाएं दी और उसका चेकअप नहीं किया। जब उसने इंदौर में चेकअप कराया तो उसे किडनी खराब होने की जानकारी लगी। इसके बाद उसने दिल्ली चेकअप कराया तो उसे डॉक्टरों ने बताया कि किडनी खराब होने का कारण वीपी के साथ-साथ दवाओं का ओवर डोज भी है।

मेरा जीवन बचाने के लिए करें मदद: धर्मेन्द्र
दोनों किडनी खराब होने से जीवन और मौत के बीच संघर्ष कर रहे धर्मेन्द्र ने शहरवासियों से अपील की है कि उसकी और उसके परिवार की अब स्थिति नहीं रही है कि अब वह अपना इलाज करा सके। जिस कारण उसने उसका जीवन बचाने के लिए लोगों से मदद मांगी है। उसका कहना है कि अगर शासन, प्रशासन, समाजसेवी उसकी सहायता कर दें तो वह अपनी एक किडनी बदलवाकर भी जीवित रह सकता है।


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