करैरा चुनाव: साहू को हैट्रिक की उम्मीद, रवि गोयल को भी जीत की आस

करैरा। नगर पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में लाख टके का यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या इस बार पूर्व नपं अध्यक्ष कोमल साहू पुन: हैट्रिक बनाने में सफल होंगे या फिर एक नए इतिहास का सृजन होगा। यह बात अलग है कि इस चुनाव में कोमल साहू के अपने जहां सकारात्मक पक्ष हैं।

वहीं नकारात्मक पहलुओं का भी उन्हें सामना करना पड़ रहा है।कांग्रेस की कमजोर चुनौती जहां उनका पक्ष प्रबल कर रही है वहीं निर्दलीय प्रत्याशी दमयंती मिश्रा जातिगत समीकरण के आधार पर जीत में बाधक साबित हो रही है। हालांकि जिस तरह से दमयंती मिश्रा के पुत्र पुष्पेन्द्र मिश्रा की रासुका में गिर तारी हुई है उसका उन्हें फायदे के साथ-साथ नुकसान भी हुआ है और ब्राह्मण मतों का धु्रवीकरण उनकी सबसे बड़ी ताकत है तो वही उनकी कमजोरी भी साबित हो सकती है।
नगर पंचायत अध्यक्ष पद सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है। लेकिन इसके बाद भी भाजपा ने सवर्ण नेताओं की उपेक्षा कर उन्हें उ मीदवार बनाया। जबकि पिछले दोनों चुनावों में वह तथा उनकी पत्नी निर्दलीय रूप से विजयी हुई थी। इस कारण भाजपा जिलाध्यक्ष विवादों के घेरे में भी आए। लेकिन श्री साहू को टिकट मिलने का सबसे बड़ा कारण यह रहा कि उनका अपना एक वोट बैंक है और उनके वोट बैंक तथा भाजपा के वोट बैंक के जोड़ को जीत का गणित माना गया और यही फेक्टर श्री साहू के टिकट प्राप्ति का कारण बना।

श्री साहू सहज हैं और कभी विवादों के घेरे में नहीं रहे। उनका सकारात्मक पक्ष यह भी है कि भाजपा जिलाध्यक्ष और उनकी टीम उनके पक्ष में मजबूती से कार्य कर रही है। उनकी ताकत इसलिए भी बढ़ी है कि कांग्रेस ने यहां रवि गोयल की मजबूत चुनौती को दरकिनार कर वीनस गोयल को टिकट दिया है। पिछले चुनाव में रवि गोयल की पत्नी ने कांग्रेस उ मीदवार के रूप में कोमल साहू की पत्नी के छक्के छुड़ा दिए थे।

लेकिन करैरा विधायक की हठधर्मिता और पूर्वाग्रह के कारण कांग्रेस ने सुनिश्चित रूप से जीती मानी जाने वाली इस सीट को उससे दूर कर दिया। रवि गोयल का करैरा में एक अपना मजबूत नेटवर्क है और वीनस गोयल बहुत पीछे हैं। जहां तक कोमल साहू के 10 साल के कार्यों का सवाल है तो मतदाता मानते हैं कि उन्होंने काम तो किया,लेकिन परिषद में दबंग पार्षदों के चलते तथा उनके निर्दलीय अध्यक्ष होने के कारण जितना काम होना चाहिए था उतना नहीं हुआ।

इसके जवाब में श्री साहू कहते हैं कि अब मैं भाजपा का उ मीदवार हूं और विकास के लिए फण्ड की कोई कमी नहीं रहेगी। दमयंती मिश्रा ने इस मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। पहले उनके पुत्र पुष्पेन्द्र मिश्रा का नामांकन निरस्त हुआ और फिर चुनाव प्रचार के दौरान रासुका में पुष्पेन्द्र की गिर तारी हुई। इससे दमयंती मिश्रा को फायदा हुआ वहीं नुकसान भी। पुष्पेन्द्र की गिर तारी के कारण ब्राह्मण समाज एकजुट हुआ, लेकिन मुकाबले में तीन अन्य ब्राह्मण उ मीदवार भी हैं।

इस कारण ब्राह्मण मतों का शत् प्रतिशत धु्रवीकरण दमयंती मिश्रा के पक्ष में हुआ यह सुनिश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता। चुनाव प्रचार के दौरान कोमल साहू का पिटना और जिस दबाव से कोमल साहू के खिलाफ भी कायमी हो गई उससे करैरा का माहौल खराब हुआ है। कोमल साहू के घुर विरोधी भी यह मानने को तैयार नहीं है कि वह किसी के साथ फौजदारी कर सकते हैं। उनका यह गुण ही उनकी सबसे बड़ी ताकत है। श्री साहू के प्रचार की कमान जिला सदर रणवीर रावत के नेतृत्व में पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने संभाल ली है जिससे श्री साहू काफी निश्ंिचत हैं।




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