शिवपुरी। नगरपालिका अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस से टिकट की मांग कर रहे पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष स्व. लाल साहब यादव के भतीजे रामकुमार यादव ने अपनी उम्मीदवारी से हाथ खींच लिया है। हालांकि उनके समर्थन में जिला कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता खुलकर सामने आए थे तथा उन्होंने दिल्ली जाकर ज्योतिरादित्य सिंधिया और महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा से भेंट कर श्री यादव के लिए टिकट की मांग की थी।
पर्यवेक्षकों से भी श्री यादव को टिकट देने का अनुरोध किया गया था। इसके बाद भी रामकुमार यादव ने क्यों नाम वापिस लिया? यह स्पष्ट नहीं हुआ। श्री यादव ने भी इस संबंध में चुप्पी साध ली है और कहा है कि वह फिलहाल कारणों को स्पष्ट नहीं करना चाहते, लेकिन उनके इस फैसले से उनके समर्थक अवश्य अचंभित हैं।
रामकुमार यादव कांग्र्रेस के समर्पित कार्यकर्ता रहे हैं और सिंधिया परिवार के प्रति उनकी निष्ठा असंदिग्ध रही है। हालांकि पदों के झमेले में वह कभी नहीं पड़े। पार्षद पद का चुनाव अवश्य उन्होंने वर्षों पहले एक बार लड़ा था, लेकिन जीत हासिल नहीं हुई थी, लेकिन इसके बाद भी उनकी राजनीति काफी साफ सुधरी रही है और उनके चरित्र तथा व्यवहार की उनके विरोधी भी तारीफ करते हैं।
नगरपालिका अध्यक्ष पद पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित होने के बाद भी उनकी चुनाव लडऩे में दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन स्व. माधवराव सिंधिया परमार्थिक न्यास से जुड़े पूर्व नपाध्यक्ष जगमोहन सिंह सेंगर, युवक कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष रामकुमार शर्मा तथा खलील खान आदि ने उन पर चुनाव लडऩे के लिए दबाव डाला और अपने खुले समर्थन की पेशकश की। इसके बाद श्री यादव चुनाव मैदान में उतरने के लिए तैयार हो गए और टिकट के लिए लॉबिंग भी शुरू कर दी गई, परंतु अचानक श्री यादव ने अपनी उ मीदवारी वापिस ले ली।
...कहीं यादवों की रणनीति का अंग तो नहीं
राजनैतिक हलकों में श्री यादव के नाम वापिस लेने के पीछे तमाम अटकलें लगाई जा रही हैं। एक चर्चा यह भी है कि यादवों की सामूहिक रणनीति के तहत रामकुमार यादव का नाम वापिस लिया गया है। कोलारस की स्थानीय राजनीति में पूर्व नपं अध्यक्ष रविन्द्र शिवहरे का मजबूती से कब्जा है और दस साल से नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर वह तथा उनकी पत्नी काबिज रहीं हैं तथा इस बार भी श्री शिवहरे अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार हैं।
ऐसा हुआ तो जीतने की स्थिति में अगली बार वह कोलारस से विधायक पद हेतु कांग्रेस टिकट के मजबूत दावेदार हो जाएंगे। शायद इसी को ध्यान में रखकर श्री शिवहरे को शिवपुरी शि िटंग की चर्चाएं चल रही हैं। इसी रणनीति के तहत रामकुमार यादव ने शायद अपनी उ मीदवारी वापिस ली है।
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