खरीब के बाद रवि की फसल चौपट होने का अंदेशा

शिवपुरी। म.प्र. सरकार कृषि महोत्सव कार्यक्रम के दौरान किसानों को खेती का धंधा लाभ का करवाने की जिस योजना पर काम कर रही है उसका असर मौसमी वातावरण के बाद जनता अपने खेती के व्यवसाय में कितना ले पाएगी यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन परंपरागत तरीके से जो किसान अपनी खेती को तैयार करते है उस व्यवस्था की शिवपुरी जिले में क्या हालत है इससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारी बीज रबि की फसल के लिए किसानों को मिल नहीं पा रहा है।
खरीब की फसल में किसान ने निजी दुकानदारों से बीज लिया था और उसकी पैदावार पूरी तरह से मिट गई थी लेकिन आज रबि की फसल के लिए भी प्रशासन के द्वारा यह व्यवस्था सुनिश्चित नहीं की गई है जिससे किसान फिर से निजी दुकानदारों से बीज खरीदने के लिए विवश हो रहा है। सूत्रों के मुताबिक आज भी कृषि विभाग के पास उन्नत किस्म का बीज नहीं है। पहले भी 30 हजार क्विंटल बीज को लेकर सोसायटीयों के माध्यम से वितरण की जो बात सामने आई थी उसमें भी अमानक स्तर के बीच को होना पाया था। यदि प्रशासन ने किसानों को बीच की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं करवाई तो रबि के बाद खरीब की फसल का चौपट होना तय है।

शिवपुरी जिले में सरकारी बीज के माध्यम से किसानों के शोषण की कार्यवाही पिछले कई समय से की जा रही है। निजी दुकानदार खाद एवं बीज का भण्डारण करके कृषि विभाग के साथ-साथ सहकारिता विभाग के लोगों को लालच देते है और यह एक षडयंत्र होता है जिसके तहत किसान को परेशानी आती है और विवश होकर किसान निजी दुकानदारों से बीज खरीदता है। 

पिछले फसल के दौरान खरई, खौरघार, बसई, पहला, झिरी ऐसे ग्रामीण क्षेत्र थे जहां अमानक स्तर के सोयाबीन बीज के कारण किसानों को बर्बाद होना पड़ा है अब सनवारा, गुढ़ा, खतौरा के अलावा कोढ़ावदा, अमरपुर, खुटैला, बांसगढ़, ऐेसे तमाम गांवों के किसानों ने यह बात उजागर की है कि सरकारी बीज की उपलब्धता नहीं है। यदि समय रहते किसानों ने बोबनी नहीं की तो रबि की फसल भी चौपट होने का अंदेशा है इसलिए विवश होकर किसान निजी दुकानदारों से बीज को खरीद रहे है। उप संचालक कृषि का कहना है कि हमने सभी सोसायटियों पर खाद बीज की सप्लाई करवा दी है तो फिर किसानों को उपलब्ध क्यों नहीं हो रही, यह अपने आप में जांच का विषय है।