पिछोर के जंगल में खुदाई में मिली गणेश जी की मूर्ति

शिवपुरी। जिले के पिछोर विकासखण्ड की ग्राम पंचायत गढ़ोईया एवं बदरवास विकासखण्ड की ग्राम पंचायत राजौरा के मध्य घने जंगल में महुआखेड़ा गांव के समीप खुदाई में श्रीगणेश जी की मूर्ति बरामद हुई है। यह भूमि जनरेल सिंह इंग्लेंड वालों के फर्म के पीछे स्थित है जहां एरन नदी के किनारे पर गहरी खाई में संत पुरूष गौतम महाराज ने अपने सद्गुरू श्रीसंत महापुरूष बाबा फूलसंदे वाले महाराज की दया एवं दृष्टि से प्राचीन मंदिर स्वयं खुदाई कर व ग्रामीणजनों के सहयोग से निकाली।
इस स्थान को अब ब्रह्मरूद्र सती सिद्ध भवानी खोह के नाम से जाना जा रहा है। इस स्थान पर पिछोर, शिवपुरी, रन्नौद, कोलारस, बदरवास के भक्तगण प्रतिदिन दर्शन करने ग्राम पंचायत वीरा के मार्ग से महुआखेड़ा के जंगल में पहुंचकर दर्शन लाभ ले रहे हैं तथा खुदाई में भी कार सेवा कर रहे है।

यहां संत पुरूष गौतम महाराज के अनुसार ग्राम पंचायत वीरा में श्री परम हंस महाराज के समाधि स्थल पर वह निवासरत है और इसी स्थान पर पूजा, ध्यान, यज्ञ करते है। बताया गया है कि मई माह में ईश्वर ने प्रेरणा दी और सद्गुरू श्रीसंत महापुरूष बाबा फूलसंदे वाले महाराज की दया दृष्टि से वह स्वयं इस जंगल में पहुंच गए और आत्म प्रेरणा हुई और इस प्राचीन स्थान में सत्य का प्रमाण खोजने के लिए 2 जून 2014 को गंगा माई के कुण्ड के दर्शन किये। 

इसके उपरांत प्राचीन मंदिर की दीवारें निकली इसके बाद ब्रह्म रूद्र सती सिद्ध भवानी की मूर्ति निकाली। इसके उपरांत सरदार अमरत पाल, सरदार जरनेल सिंह इंग्लेंड वाले के फर्म हाउस पर लगे मजदूर, किसानों तथा ग्रामीणों के सहयोग से खुदाई-सफाई का कार्य आज तक जारी है। प्रतिदिन खुदाई में प्राचीन मूर्तियां दीवारों से निकल रहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस प्राचीन मंदिर पर पहाड़ गिरने से यह मंदिर नष्ट हो गया होगा। अब यहां गौतम महाराज कुटिया बनाकर निवास कर खुदाई करा रहे है दिन भर खुदाई-सफाई के बाद रात्रि में पूजन-अर्चना की जाती है। यहां इंग्लेंड वाले जरनेल सिंह व सरदार अमरत पाल का सहयोग महाराजश्री को प्राप्त हो रहा है। अब यह स्थान आस्था का प्रतीक बनता नजर आ रहा है। 
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