प्रभारी मंत्री की नाराजी, अब तो हटाओ प्रभारी महिला मलेरिया अधिकारी को

शिवपुरी। जिले का दुर्भाग्य नहीं तो और क्या है कि लगभग 10 वर्षों से यहां किसी पूर्ण कालिक मलेरिया अधिकारी की नियुक्ति नहीं हुई है और इस जिले में मलेरिया अधिकारी का काम कोलारस में पदस्थ महिला डॉक्टर अल्का त्रिवेदी से लिया जा रहा है।

यहां तक कि मंत्री बनने के बाद यशोधरा राजे सिंधिया ने अपने निर्वाचन क्षेत्र शिवपुरी में पूर्ण कालिक मलेरिया अधिकारी की नियुक्ति की नोट शीट चलाई थी। लेकिन परिणाम कुछ नहीं निकला और अब इसके दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं। शिवपुरी जिले में डेंगू और मलेरिया से हुई मौतों के बाद प्रभारी मंत्री कुसुम मेहदेले ने माना कि मलेरिया अधिकारी अल्का त्रिवेदी ठीक काम नहीं कर रही हैं और उन्हें हटा दिया जाए।

शिवपुरी में विगत वर्षों से लापरवाही के चलते मलेरिया से मौतों का सिलसिला लगातार जारी है। इस वर्ष तो जिले में मलेरिया ने अपने पैर पूरी तरह पसार लिए हैं तथा मलेरिया विभाग न तो रोग की रोकथाम के उपाय कर पाया और न ही बीमारी पर नियंत्रण करने में उसकी कोई भूमिका रही। जिले में सैकड़ों मरीज मलेरिया और फैल्सीफेरम के शिकार बने हुए हैं तथा नरवर ब्लॉक के ग्राम झंडा में तो मलेरिया के कहर

के चलते आधा दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। झण्डा गांव में डेंगू के कारण मौत पर मौत होती रहीं और मलेरिया विभाग चैन की नींद सोता रहा। जिले में हालात इतने बेकाबू हो गए हैं कि एक ही दिन में जिला अस्पताल में लगभग दो दर्जन मलेरिया पीडि़तों को इलाज के लिए ग्वालियर रैफर कर दिया। इनमें से दो रैफर की गई लड़कियों मनीषा ठाकुर पुत्री अरङ्क्षवद सिंह और रजनी पुत्री राजेन्द्र सिंह की रास्ते में ही मौत हो गई तथा एक अन्य महिला रामकुमारी पत्नी दयाराम सेन ने ग्वालियर में इलाज के दौरान दम तोड़ा जिले के एक मात्र जिला अस्पताल में प्रतिदिन 1500 से लेकर 1700 मरीज ओपीडी में आ रहे हैं। जिनमें से बड़ी सं या में मरीज मलेरिया, डेंगू और फेल्सीफेरम मलेरिया से पीडि़त हैं। समझा जा सकता है कि जिले में मलेरिया विभाग की लापरवाही से यह रोग कितने भयावह स्तर पर पहुंच गया है।

कल जिले की प्रभारी मंत्री कुसुम मेहदेले अस्पताल में भर्ती डेंगू और मलेरिया रोग से पीडि़त मरीजों से मिलने पहुंची तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कलेक्टर राजीवचंद्र दुबे से कहा कि मलेरिया अधिकारी अल्का त्रिवेदी ठीक ढंग से काम नहीं कर रही हैं। उन्होंने यहां तक कहा कि मलेरिया अधिकारी को पद से हटा दिया जाए। लेकिन सवाल यह है कि प्रभारी महिला मलेरिया अधिकारी को हटाने में शासन और प्रशासन बेबस क्यों बना हुआ है? यह भी सवाल है कि जब स्थानीय विधायक और मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने यहां पूर्ण कालिक मलेरिया अधिकारी की नियुक्ति की नोट शीट चलाई तो उक्त नोट शीट क्यों अपने अंजाम पर नहीं पहुंच पाई।

ऐसे हालात में जब प्रभारी मंत्री कुसुम मेहदेले ने स्वयं स्वीकार किया है कि जिले में मलेरिया विभाग सक्षमतापूर्वक कार्य नहीं कर पा रहा है तो क्या अब भी पूर्ण कालिक मलेरिया अधिकारी की नियुक्ति के लिए जिले को लंबा इंतजार करना पड़ेगा। क्या शासन और प्रशासन को किसी और बड़े हादसे का इंतजार है?