पर्यूषण पर्व का आज अंतिम दिन

शिवपुरी। पर्यूषण पर्व के आज अंतिम दिन भीलबाड़ा राजस्थान से आईं श्राविका बहनों ने क्षमा का महत्व बताते हुए कहा कि यह वीरों का आभूषण है और पर्यूषण पर्व में हमें उन लोगों से सबसे पहले क्षमा मांगना चाहिए। जिनसे शत्रुता है या जिनके प्रति मन में कषाय की भावना है।
वहीं श्राविका बहन मंजू जी ने जीवन को सुखमय बनाने का तरीका बताते हुए कहा कि एक तो हमें दूसरे की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। वहीं दूसरे से अपेक्षा भी नहीं पालनी चाहिए। इससे जीवन में शांति और आनंद की प्राप्ति होगी। अंत में श्वेता बर जैन स्थानकवासी समाज के अध्यक्ष राजेश कोचेटा, अशोक गूगलिया और अशोक कोचेटा ने जिनवाणी की गंगा प्रवाहित करने के लिए श्राविका बहनों के प्रति आभार और कृतज्ञता ज्ञापित की। सभा में जिन धर्म की सेवा करने के कारण हरि भैय्या का महिला मण्डल की अध्यक्ष श्रीमती बीणा कोचेटा और संरक्षिका श्रीमती इंदू कोचेटा ने स मान किया।

पर्यूषण पर्व के अंतिम दिन सबसे पहले श्राविका अजब बहन ने भगवान महावीर की वाणी अंतगढ़ सूत्र का वाचन किया और शास्त्रीय भाषा में उनके उपदेशों को श्रोताओं तक पहुंचाया। वहीं श्राविका नौरत्न बहन ने तप की महिमा का गुणगान करते हुए कहा कि पर्यूषण पर्व के सातों दिन हम अपने अंदर के कषायों को समाप्त करते हैं और अंतिम दिन उन कषायों के पूरे कचरे को तप रूपी अग्रि में जलाते हैं। उन्होंने कहा कि इसके बाद हमें संसार के सभी प्राणियों से अपनी जानी-अनजानी भूलों के लिए क्षमा मांगनी चाहिए।

क्षमा मांगने से हम छोटे नहीं होते हैं। क्षमा मांगने से जहां अहंकार का नाश होता है वहीं इससे इंसान का कद कम नहीं होता, बल्कि बढ़ता है। श्राविका बहन मंजू ने अपने उद्बोधन में सबसे पहले कहा कि हमारा जीवन दुखमय इसलिए बनता है, क्योंकि हम दूसरों की उपेक्षा करते हैं। उन पर शब्द रूपी वाणों का प्रहार कर उनके अंर्तमन को आहत करते हैं। वहीं दूसरों से अपेक्षा भी पाल लेते हैं। उन्होंने कहा कि पर्यूषण पर्व पर हम संकल्प लें कि आज से कभी किसी की उपेक्षा नहीं करेंगे। उनका स मान करेंगे तथा किसी से अपेक्षा भी नहीं पालेंगे। अपेक्षा पूरी न होने पर ही दुख का आगमन होता है। उन्होंने कहा कि सुनने से अधिक महत्वपूर्ण गुनना है। यदि अच्छी बातों को हम जीवनम में उतार लें तो बुद्धत्व प्राप्त करना मुश्किल नहीं है। सभा के अंत में जिन शासन की सेवा करने के कारण हरि भैय्या का स मान किया गया।

श्राविका बहनों के प्रति व्यक्त की गई कृतज्ञता
संवत्सरी पर्व के दिन पूरे आठ दिन तक पोषद भवन में जिन वाणी का पाठ करने वाले और जिन वाणी को जन-जन तक पहुंचाने वाली श्राविका बहनों के प्रति श्वेता बर स्थानकवासी जैन समाज ने कृतज्ञता ज्ञापित की और उनके प्रति आभार व्यक्त किया। समाज के अध्यक्ष राजेश कोचेटा ने अपने संबोधन में कहा कि श्राविका बहनों ने पर्यूषण पर्व में साधू-साध्वियों की कमी नहीं महसूस होने दी। अशोक गूगलिया ने कहा कि उनके प्रति आभार व्यक्त करने के लिए हमारे पास शब्द नहीं हैं। पन्नालाल जी महाराज साहब की प्रेरणा से स्वाध्याय संघ बहुत अच्छा काम कर रहा है। इस अवसर पर अशोक कोचेटा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।