अस्पताल के दरवाजे पर हुआ प्रसव, कोई डॉक्टरी मदद नहीं मिली

शिवपुरी। शिवपुरी जिला अस्पताल में देर रात एक प्रसूता के परिजन अस्पताल की अव्यवस्थाओं से परेशान होकर किसी निजी अस्पताल जा रहै थे। तभी प्रसूता अस्पताल के गेट के बाहर टैम्पू में बैठी ही थी कि वही उसने एक बच्चे को जन्म दे दिया।

वहीं अस्पताल का स्टाफ भी इस घटनाक्रम को देखता रहा और न कोई डॉक्टर वहां पहुंचा। बाद में बच्चे और प्रसूता को लेकर उसके परिजन किसी निजी अस्पताल की ओर रवाना हो गए। इस घटनाक्रम से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिला अस्पताल की क्या स्थिति है? जहां मरीज इलाज कराने से कतराते दिख रहे हैं। जबकि जिला चिकित्सालय मॉडल अस्पताल का खिताब पा चुका है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार तीन दिन पहले ग्राम परासई की गर्भवती महिला पर्वतीया पत्नी जसुआराम  को पेट में दर्द होने की शिकायत के बाद उसके परिजन इलाज के लिए जिला चिकित्सालय लाए। जहां उसे जच्चा वार्ड में भर्ती कर दिया गया, लेकिन उसे इलाज के बावजूद भी कोई आराम नहीं मिला। जिस पर परिजनों ने डॉक्टरों से संपर्क साधा, लेकिन डॉक्टरों ने बिना इलाज किए ही उसको शीघ्र लाभ मिलने का आश्वासन देते रहे। बीती रात्रि करीब 9 बजे पर्वतीया दर्द से कराह उठी, लेकिन कोई भी डॉक्टर और न कोई स्टाफ उसकी तकलीफ को देखकर वहां नहीं पहुंचा।

अस्पताल की व्यवस्थाओं से खिन्न होकर उसके परिजन उसे आनन-फानन में वहां से निकालकर किसी निजी अस्पताल में ले जाने के लिए अस्पताल के बाहर लेकर आए। जहां एक टेंपू को रोककर प्रसूता को उसमें बैठा दिया, उस समय प्रसूता दर्द के कारण कराह रही थी और कुछ देर बाद ही उसने एक बच्चे को जन्म दे दिया। यह कोई पहला घटनाक्रम नहीं था। इससे पहले भी ऐसी घटनाएं घटित हो चुकी हैं, लेकिन आज तक किसी भी प्रकरण में गैर जि मेदार डॉक्टरों और स्टाफ के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।  

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