जिले का मॉडल अस्पताल महज दिखावे का, शोपीस बने स्वास्थ्य यंत्र

शिवपुरी। इसे भल क्या कहेेंंगे कि एक ओर तो प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जिला अस्पताल को मॉर्डल अस्पताल की तरह देखना चाहते है तो वहीं दूसरी ओर उनकी इस मंशा पर कोई और नहीं बल्कि स्वयं जिला चिकित्सालय का प्रबंधन ही पानी फेरता नजर आ रहा है।
कारण है कि इन दिनों जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाऐं ना के बराबर है जिससे यह मॉडल अस्पताल महज दिखावे का साबित हो रहा है वहीं दूसरी ओर यहां के स्वास्थ्य यंत्र भी बेसुध और बेकार से पड़े नजर आते है।
यह समझ के बाहर की बात है कि शिवपुरी के जिला अस्पताल को प्रदेश में मॉडल अस्पताल का खिताब क्यों दिया गया है? जिस अस्पताल में गंदगी का जमावड़ा है। पीने के लिए पानी की व्यवस्था नहीं। चिकित्सकीय स्टॉफ में संवेदनशीलता का अभाव है। 

डॉक्टरों और मरीजों के परिजनों के बीच अनेक मारपीट की घटनाएं हो चुकी हैं। उस अस्पताल को मॉडल अस्पताल का खिताब दिया जाना एक मजाक नहीं तो ओर क्या है? अभी हाल ही में तात्कालिक कलेक्टर आरके जैन अस्पताल की अव्यवस्थाओं से नाखुश दिखे और उन्होंने सिविल सर्जन को फटकार भी लगाई थी। लेकिन इसके बावजूद भी अस्पताल की व्यवस्थाएं आज तक दुरुस्त नहीं हुईं। ताजा मामला कल सामने आया जब मरीजों के साथ आए अटेण्डरों ने जिला अस्पताल में पानी की व्यवस्था न होने पर नाराजगी जताई।

यहां बता दें कि जिला अस्पताल में एक बड़ी पानी की टंकी के साथ-साथ समाजेसवी संस्थाओं ने जिला अस्पताल को दान दिए वाटरकूलर भी लगे हैं, लेकिन रख-रखाव के अभाव में यह खराब हो चुके हैं और बड़ी पानी की टंकी भी पिछले पांच दिनों से पानी भी नहीं है। जिस कारण मरीज और उनके साथ आए अटेण्डर पानी के लिए तरस रहे हैं। यहां तक कि अपनी प्यास बुझाने के लिए बाहर से आए मरीजों के लिए पानी बाजार से खरीदकर उनके परिजन पिला रहे हैं। वहीं कुछ अपने घरों से पानी मंगाकर पी रहे हैं। पिछले तीन दिनों से अपने मरीज के साथ रह रहे लुकवासा कस्बे के पास स्थित कैलधार गांव के निवासी परमजीत सिंह बताते हैं कि वह तीन दिन से अस्पताल में हैं। जहां न तो पानी है और न ही साफ-सफाई की व्यवस्था।

जिस कारण वह प्रतिदिन कैलधार से अपने भाई को बुलाकर पानी और खाने-पीने की व्यवस्था करते हैं। अस्पताल में गंदगी इतनी है कि उनका वार्ड में जी घबराता है। लेकिन वह मजबूरीवश अपने मरीज को अस्पताल में भर्ती किए हुए हैं। वहीं पोहरी से आए रामसेवक धाकड़ का कहना है कि वह पांच दिनों से अस्पताल में हैं जहां सुलभ शौचालय के पास स्थित पानी की टंकी में पानी नहीं है। वहां सिर्फ गंदगी ही गंदगी नजर आती है और सूअर टंकी के आसपास घूमते रहते हैं। ऐसी स्थिति में अगर उस टंकी में पानी भी भर दिया जाए तो कोई भी वहां पानी पीने की जहमत तक नहीं उठाएगा। साथ ही उन्होंने बताया कि पिछले पांच दिनों में वह जान गए कि सरकारी अस्पताल की व्यवस्थाएं कैसी होती हैं? 

इन अव्यवस्थाओं के कारण वह अपने मरीज को किसी निजी अस्पताल में ले जाने की सोच रहे हैं। जहां सरकार मु त में इलाज और दवा देने का सपना आम जनता को दिखा रही है, लेकिन जो लोग ऐसे वादे आम जन से कर रहे हैं। वह एक बार फिर शिवपुरी के जिला अस्पताल में आकर इलाज करा लें तो उन्हें सरकारी अस्पताल की जानकारी लग जाएगी। जहां विस्तरों पर गंदे चादर और गद्दे बिछे हुए हैं। जिससे वहां लेटा मरीज सड़ान के मारे और बीमार होने की स्थिति में आ जाता है। गोवर्धन के पन्नू आदिवासी भी शिवपुरी अस्पताल की अव्यवस्थाओं से नाखुश हैं। उनका कहना है कि वह जब से अस्पताल में आए हैं कभी वह अपने मरीज के साथ वार्ड में नहीं सोए। लेकिन आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण वह अपने मरीज को निजी अस्पताल में नहीं ले जा पा रहे हैं और वह मजबूरीवश सरकारी अस्पताल में इलाज करा रहे हैं।

गंदगी से सराबोर है पानी की टंकी
अस्पताल प्रांगण में एकमात्र पानी की टंकी स्थापित की गई है। जिसमें निर्माण से लेकर अब तक कोई सफाई नहीं कराई गई है जिस कारण टंकी का पानी दूषित हो गया है। लेकिन फिर भी वहां आने वाले मरीज और उनके परिजन प्यास बुझाने के लिए टंकी के पानी का इस्तेमाल करते देखे जाते हैं। पिछले पांच दिनों से इस टंकी में पानी नहीं है। जिससे वहां लोगों का आना-जाना कम हो गया है।

ऐसी स्थिति में अब उक्त टंकी के चारों ओर कीचड़ और गंदगी ने अपना कब्जा कर लिया है। इसी का फायदा उठाकर सूअर और मच्छर वहां देखे जा सकते हैं। जिस कारण अस्पताल में बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ रहा है। टंकी के पास ही आईसीयू वार्ड स्थापित है और टंकी के पास गंदगी के कारण पनपे मच्छर वार्डों में घुसकर मरीजों को और बीमार कर रहे हैं। लेकिन अस्पताल प्रशासन अपनी निष्क्रियता के कारण इस पर ध्यान केन्द्रित नहीं कर रहा है।