सुमैला कांड: पुलिस ने पीड़ितों को उल्लू बनाया, धारा 304 के तहत दर्ज किया मामला

शिवपुरी। बदरवास थाना क्षेत्र में सुमैला गांव के नजदीक कल शाम कार की टक्कर से मां-बेटी की मौत के बाद पुलिस ने भादवि की धारा 304 ए (गैर इरादतन हत्या) के स्थान पर भादवि की धारा 304 (लापरवाही के कारण मौत) का प्रकरण कायम किया है। पीड़ित पक्ष इस मामले में (इरादतन हत्या) धारा 302 के तहत मामला दर्ज कराने की मांग कर रहे थे परंतु पुलिस ने पीड़ितों को उल्लू बनाकर वापस भेज दिया।

दुर्घटना में मां-बेटी की मौत के बाद ग्रामीणों ने चक्काजाम कर दिया था और यह आरोप लगाया था कि दुर्घटना कारित करने वाले चालक दीपू पुत्र लखन रघुवंशी ने अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए मां-बेटी को जानबूझकर टक्कर मारकर उन्हें मौत के घाट उतारा है।

विदित हो कि पांच साल पहले सुमैला गांव में ही जमीन संबंधी रंजिश के कारण आरोपी दीपू के पिता लखन रघुवंशी की ट्रेक्टर के कुचलकर हत्या कर दी गई थी। उस समय लखन रघुवंशी बदरवास ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे और हत्या के आरोपी सुमैला गांव के ही रहने वाले थे तथा ग्रामीणों का कथन है कि आरोपीगण और मृतक विजयाबाई पत्नी बल्लू यादव की निकट की रिश्तेदारी है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार कल शाम 6:30 बजे दीपू रघुवंशी अपनी इंडिका कार से गुना से बदरवास आ रहा था। उसी दौरान एबी रोड पर विजयाबाई निवासी मैगोनाबड़ा अपनी दो वर्षीय बेटी काजल के साथ सड़क पार कर रही थी। दोनों मां बेटी कार की चपेट में आ गईं जिससे उनकी घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गई। दुर्घटना के बाद दीपू कार छोड़कर भाग खड़ा हुआ।

जैसे ही यह खबर सुमैला गांव पहुंची तो आक्रोशित गांव वाले घटनास्थल पर आ गए और उन्होंने आरोप लगाया कि पिता की हत्या का बदला लेने के लिए दीपू ने हत्या को दुर्घटना का रूप दिया है। गुस्साए ग्रामीणों ने कार में आग लगा दी और चक्का जाम कर दिया। बताया जाता है कि ग्रामीणों ने बदरवास में दीपू रघुवंशी की स्पेयर पाट्र्स की दुकान में भी तोडफ़ोड़ कर दी। यही नहीं ग्रामीणों ने चक्का जाम कर दिया। जिससे एबी रोड के दोनों ओर यातायात रूक गया तथा वाहनों की लंबी-लंबी कतारें लग गईं।

चक्का जाम की खबर पाकर एसडीओपी छारी और तहसीलदार मौके पर पहुंच गए और उन्होंने ग्रामीणों को समझाना बुझाना शुरू किया, लेकिन ग्रामीणों ने पुलिस पर ही पथराव कर दिया। जिससे पुलिसकर्मी घायल भी हुए। ग्रामीणों ने कहा कि दीपू के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया जाए और उसे तुरंत गिरफ्तार कराया जाए। ग्रामीणों के दबाव में पुलिस ने दीपू रघुवंशी के विरूद्ध सदोष मानव वध का प्रकरण दर्ज किया है।

बड़ी मुश्किल से मां-बेटी के पीएम पर ग्रामीण सहमत हुए
पुलिस ने दीपू रघुवंशी के खिलाफ भादवि की धारा 304 का मामला कायम कर लिया लेकिन इसके बाद भी ग्रामीण सहमत नहीं हुए। उनकी मांग थी कि आरोपी के विरूद्ध भादवि की धारा 302 का मामला कायम किया जाए और उसकी गिरफ्तारी की जाए। इस कारण आज ग्रामीणों ने दोनों लाशों का पीएम कराने से इंकार किया, लेकिन बाद में मध्यस्थता के बाद वे पीएम के लिए तैयार हुए।

पांच साल पहले हुई थी लखन की हत्या
आरोपी दीपू रघुवंशी के पिता लखन रघुवंशी की पांच साल पहले सुमैला में हत्या हुई थी और इस मामले में पांच यादव समाज के आरोपी नामजद किए गए थे। जिन्हें न्यायालय ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। बताया जाता है कि इन पांच में से एक आरोपी पैरोल पर छूटकर आया और इसके बाद वह हाजिर नहीं हुआ। ताजा विवाद को भड़काने में आरोप है कि उसी सजा याफ्ता आरोपी और उसके एक सहयोगी का हाथ है जिन्होंने मामले को तूल दिया और दीपू पर हत्या का आरोप जड़ा। जबकि कुछ लोगों का कहना है कि मृतक मां बेटी का लखन रघुवंशी की हत्या में नामजद किए गए आरोपियों से कोई रिश्तेदारी नहीं हैं। सिर्फ आरोपीगण यादव समाज के हैं और उसी सुमैला गांव के रहने वाले हैं।

क्या अंतर है धारा 304 ए, 304 एवं 302 में
एक कार चालक तेज गति से जा रहा है एवं कार के ब्रेक फैल हो गए। अनियंत्रित कार से किसी राहगीर की मौत हो गई। ऐसी स्थिति में गैर इरादतन हत्या का प्रकरण आईपीसी की धारा 304 ए के तहत दर्ज होता है। इसमें अधिकतम 2 साल की सजा एवं हर्जाने की आदागीय बीमा कंपनी द्वारा की जाती है।

एक कार चालक तेज गति से जा रहा है, सामने राहगीर मौजूद है। कार चालक यदि चौकान्ना होता तो दुर्घटना को टाला जा सकता था, परंतु कार चालक की लापरवाही के कारण दुर्घटना हुई व राहगीर की मौत हो गई। ऐसी स्थिति में लापरवाही के कारण मौत का प्रकरण धारा 304 के तहत दर्ज किया जाता है। इसमें अधिकतम 10 साल की सजा होती है एवं बीमा कंपनी किसी भी प्रकार से जवाबदार नहीं होती। आरोपी को व्यक्तिगत रूप से हर्जाना अदा करना पड़ता है।

कार चालक ने देखा कि उसका शत्रू सड़क पर है। उसने कार तेज गति से चलाई और हत्या कारित करने के उद्देश्य से टक्कर मार दी। दुर्घटना में राहगीर की मौत हो गई। ऐसी स्थिति में प्रकरण सदोष मानव वध आईपीसी की धारा 302 के तहत दर्ज किया जाना चाहिए। इसमें उम्रकैद तक का प्रावधान है।