गायत्री शक्ति पीठ का होगा पुर्नगठन, जांच शुरू!

शिवपुरी। पंजीयक लोक न्यास और एसडीएम शिवपुरी डीके जैन के निर्देश पर तहसीलदार श्री पाण्डे ने गायत्री शक्ति पीठ के क्रियाकलापों की जांच शुरू कर दी है।
शिकायतकर्ताओं ने अपनी लिखित शिकायत में पंजीयक लोक न्यास को अवगत कराया था कि गायत्री शक्ति पीठ के मु य ट्रस्टी ट्रस्ट की संपत्ति का लोकहित के स्थान पर निज हैसियत में उपयोग कर रहे हैं और जिस उद्देश्य के लिए ट्रस्ट को दानदाता और शासन ने जमीन दी थी उसके स्थान पर उसका अधिकांशत: आवासीय उपयोग किया जा रहा है। यह भी आरोप है कि मु य ट्रस्टी ट्रस्ट के पुर्नगठन के पक्ष में नहीं हैं।

उन्होंने संस्था की संबंद्धता शांतिकुंज हरिद्वार से अलग कर गायत्री नवजीवन हरिद्वार से जोड़ दी है। इस शिकायत के परिपे्रक्ष्य में तहसीलदार पाण्डे ने नोटिस जारी कर मु य ट्रस्टी गंभीर सिंह तोमर से उनका पक्ष जाना है। वहीं शांतिकुंज हरिद्वार को पत्र लिखकर उनसे पूछा है कि गायत्री शक्तिपीठ शिवपुरी में उनकी हैसियत क्या है तथा उनका कौन प्रतिनिधि है? श्री पाण्डे ने बताया कि जवाब मिलने के बाद वे ट्रस्ट के पुर्नगठन के संबंध में निर्णय लेंगे। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार 19 जुलाई 1980 को श्रीमती सावित्रीदेवी पत्नी हरिराम निवासी अशोकनगर ने सर्वे क्रमांक 709 की 40बाई60 कुल 2400 वर्ग फिट जमीन शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वाधान में स्थापित गायत्री शक्तिपीठ को दान दी। इसके बाद गायत्री शक्तिपीठ ने शासन से सर्वे क्रमांक 712 रकवा 0.213 हेक्टेयर जिसका क्षेत्रफल 18992 वर्ग फिट है को 6 लाख 30 हजार रूपये प्रीमियर और 15222 रूपये भू भाटक की शर्त पर लीज पर लिया। उक्त जमीन का उपयोग ट्रस्ट के उपयोग हेतु था, लेकिन जमीन के कुछ हिस्से पर ही भगवान शिव और दुर्गा मां के मंदिर बने हुए हैं। जबकि अधिकांश जमीन का आवासीय उपयोग हो रहा है।

शिकायत में कहा गया है कि प्रमुख प्रबंध ट्रस्टी गंभीर सिंह तोमर ने सक्रिय कार्यकर्ता नरेश बंसल, रामचरण त्यागी, केपी चौरसिया, गौरीशंकर निगौती, नाथूराम, नरेश गोंडल, जगदीश सिंह चौहान, रामजीलाल गुप्ता, मांगीलाल की उपेक्षा शुरू कर दी और उन पर चरित्रहीनता के झूठे आरोप लगाकर उन्हें ट्रस्ट के कार्यों से बाईपास कर दिया गया। ये सभी सक्रिय कार्यकर्ता ट्रस्ट के पुर्नगठन के पक्ष में थे। यही नहीं मु य ट्रस्टी ने संस्था की संबंद्धता शांतिकुंज हरिद्वार से अलग कर गायत्री नवजीवन हरिद्वार से जोड़ दी। शिकायत में कहा गया है कि भारतीय संविधान के अनुसार सामाजिक, शरीरिक तथा नगर स्वास्थ्य के हित में शांतिकुंज के मार्गदर्शन ने युग निर्माण योजना अंतर्गत लोक कल्याण कार्य हेतु जिस ट्रस्ट गायत्री परिवार ट्रस्ट को शासकीय सुविधा प्रदान की गई है वह ट्रस्ट व्यक्तिगत हितसाधक बनकर रह गया है। 

मु य ट्रस्टी गंभीर सिंह तोमर से तहसीलदार पाण्डे ने पत्र लिखकर पूछा है कि ट्रस्ट गठन का उद्देश्य क्या था? और उस उद्देश्य की पूर्ति हेतु क्या-क्या कार्य किए गए। ट्रस्ट के अन्य सदस्यों को इस आधार पर अलग किया गया और झिंगुरा की भूमि सर्वे क्रमांक 212 की प्रीमियम और भू भाटक राशि जमा किए बिना उन पर क्यों कब्जा किया गया? इसके प्रत्युत्तर में श्री तोमर ने जवाब दिया कि सर्वे क्रमांक 212 की प्रीमियम और भू भाटक राशि अधिक होने के कारण उसका विवाद उच्च न्यायालय में चल रहा है तथा ट्रस्ट अपने उद्देश्य के अनुसार कार्य कर रहा है।