इन उम्मीदो के राजदूतों को मैं क्या नाम दूं

ललित मुदगल@प्रसगंवश/शिवपुरी।
शिवपुरी नगर का जलसंकट इस देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी को भी ज्ञात है, उन्होने इस लोकसभा चुनाव मे शिवपुरी की आमसभा में इस क्षेत्र के सांसद सिंधिया को महाशय कहते हुए पूरे के पूरे जलसंकट का ठीकरा सांसद महोदय के सर पर फोड़ दिया और शिवपुरी के जलसंकट पर एक दमदार भाषण पेल गए।

और कहा हमे जिता दो हम तुम्है अच्छे दिन देंगें। नरेन्द्र भाई मोदी को देश की जनता ने दिल्ली तो पहुचा दिया शिवपुरी की जलसंकट से त्रस्त जनता ने भी भाजपा को ही वोट दिया परन्तु शिवपुरी का जलसंकट का नतीजा वही, प्यासे रह गए कंठ और रिते रह गए घड़े।

शिवपुरी वासी मोदी के भाषण सुनने के बाद मोदीमय हो गये और जलावर्धन प्रोजेक्ट का खलनायक सिंधिया को मानते हुए ढाईसौ सालों के संबधों को ईवीएम मशीन के बटन दबाते हुए ढाई सैकेंड से भी कम समय में तोड दिए और जो आज तक नही हुआ वह हो गया सिंधिया शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हार गए, हालाकि शिवपुरी-गुना संसदीय क्षेत्र से सिंधिया एक लाख वोटो से जीत गए परंतु उन्हें हमेशा सबसे ज्यादा लीड देने वाली विधानसभा में वो हार गए।

आज से एक वर्ष पूर्व शिवपुरीे में अटलज्योति योजना का शुंभारभ करने शिवराज आए और पूरी ताकत के साथ घोषणा कर गए कि विधान सभा चुनावो से पहले में जलावर्धन योजना का शुभारंम करूगा। विधानसभा चुनाव से पहले क्या लोकसभा गठन के बाद भी आज तक जलावर्धन योजना का काम पुन: शुरू नही हुआ है लेकिन शिवराज जी ने अवश्य तीसरी बार सीएम बनने को सौभाग्य प्राप्त कर लिया है और शिवपुरी में किए गए वादे को भूल गए। नतीजा वही प्यासे रह गए कंठ और रीते रह गए घड़े।

शिवपुरी की विधासक और मप्र शासन मेें कैबिनैट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने भी अपने विधान सभा चुनाव में शिवपुरी वासियो से वादा किया पहला टारगेट शिवपरी का जलसंकट दूर करना है शिवपुरी की जनता ने उन्है विजयश्री का तोहफा भी दिया। शिवपुरी के जलसंकट के लिए भोपाल मेे बैठकें भी की गई। फोटो के साथ प्रेसविज्ञप्तियां अखबारो के लिए जारी की गई परन्तु शिवपुरी के जलसंकट का नतीजा वही प्यासे रह गए कंठ और रीते रह गए घड़े।

अब बात करते नपा अध्यक्ष रिशिका अष्ठाना की, कहा जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट की खलनायिका तो यही है इस प्रोजेक्ट की ऐजेंसी की कर्ताधर्ता यही है इन्होने इस प्रोजेक्ट की मॉनरिटिंग सही की होती तो इस प्राजेक्ट का यह हाल नही होता ये भी शहर को पानी पिलाने का वादा कर शहर की प्रथम नागरिक बनी परन्तु इनका कार्यकाल पूरा होने को है और जलावर्धन योजना का नतीजा वही, प्यासे रह गए कंठ और रीते रह गए घड़े।

मुझे तो ऐसा लगने लगा है कि शिवपुरी का जलसंकट नेताओ के वोटो की फिक्स डीपोजिट हो गई है पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक प्यासो कंठो से वोट मांग चुके है परन्तु नेताओं के वादों के बदरा नही बरसे ओर शिवपुरी का वही हाल, प्यासे रह गए कंठ और रीते रह गए घड़े।
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