जलसंकट: सिर्फ 3 फिट पानी बचा है पेयजल के लिए

शिवपुरी। यदि मानसून ऐसे ही हड़ताल पर रहे तो चांदपाठा से मिलने वाला पानी बंद हो जाएगा। झील में सिर्फ 3 फिट पानी बचा है, यदि यह भी खत्म हो गया ओर बारिश नहीं हुई तो वनविभाग शहर में पेयजल की सप्लाई बंद कर देगा। सनद रहे कि वनविभाग चांदपाठा झील में जानवरों के लिए पानी रिजर्व रखता है, अतिरिक्त होने पर ही इंसानों को पेयजल के लिए शिवपुरी शहर में वितरित करवाया जाता है।

भीषण गर्मी के बीच चांदपाठा में 1121 फीट पानी रह गया है। अगर पानी का स्तर तीन फीट गिरकर 1118 फीट रह जाएगा तो नेशनल पार्क शहर में पीने के पानी की सप्लाई बंद कर देगा। इससे शहर में पानी के लिए हाहाकार मच जाएगा। गंभीर बात यह है कि शहर में पानी सप्लाई करने वाले अधिकांश ट्यूबवेल बंद होने से चांदपाठा पर पीने के पानी की सप्लाई का दबाव लगातार बढ़ रहा है। पार्क प्रबंधन ने नगरपालिका को इस संबंध में पत्र देकर सचेत भी कर दिया।

गौरतलब है कि जुलाई का लगभग आधा महीना गुजरने को आया, लेकिन बारिश का क्रम शुरू नहीं हो पाया। जिसके चलते जलाशयों में पानी का लेवल लगातार कम होता जा रहा है। शहर की 40 फीसदी आबादी को पानी देने वाले चांदपाठा में भी अब महज 1121 फीट पानी रह गया है, जबकि 1118 फीट लेवल आने पर फिल्टर प्लांट को दिए जाने वाला पानी बंद कर दिया जाएगा क्योंकि माधव नेशनल पार्क के वन्यजीवों के पानी को संरक्षित रखा जाएगा। गर्मी उमस के बीच चांदपाठा में पानी का वाष्पीकरण भी तेजी से हो रहा है।

चांदपाठा के किनारे सूखने से भदैया कुंड वाली फिल्टर प्लांट की 60 हॉर्स पावर वाली मोटर पहले ही बंद कर दी गई। अब सिर्फ घसारही पर लगी दो मोटरों से फिल्टर प्लांट तक पानी पहुंचाया जा रहा है। भदैया कुंड की मोटर बंद होने से करौंदी संपवेल भर पाने की वजह से कमलागंज क्षेत्र में पानी की समस्या बनी हुई है। दो मोटरों से ही पूरे शहर को पानी तीन दिन में एक बार एक-दो घंटे ही मिल पा रहा है।

चांदपाठा की दीवार में लगी मोरी को सात दिन में एक बार 24 घंटे के लिए खोला जाता है। जहां से पानी घसारही पर लगी मोटरों तक पहुंचता है। एक बार में 7 इंच पानी चांदपाठा से घसारही पहुंचता है। वहां से पाइप लाइन के जरिए पानी को शुद्धिकरण के लिए फिल्टर प्लांट पहुंचाया जाता है। जहां साफ होने के बाद शहर में पानी की सप्लाई दी जाती है।

चांदपाठा जलाशय नेशनल पार्क के अंदर है। इसलिए पार्क प्रबंधन इस पर अपना आधिपत्य जताता है। जबकि इसका मेंटेनेंस जल संसाधन विभाग करवाता है। इसमें भरने वाले पानी का उपयोग नगरपालिका द्वारा शहरवासियों के लिए किया जाता है।