रेल किराया: मोदी के छलावे को भूल नहीं पा रहे मुसाफिर

शिवपुरी। कहा जा रहा है अच्छे दिन आने वाले है...लेकिन क्या ऐसे ही अच्छे दिन आऐंगें जिससे जनमानस ही इन अच्छे दिनों के आने की मनाही करने लगे। कारण साफ है केन्द्र में बैठी भाजपा की मोदी सरकार ने जिस प्रकार से आनन फानन मे बजट से पूर्व ही रेल व माल भाड़े में 14.2 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर जनमानस को रेल का सफर महंगा कर दिया।

इन दिनों इसकी मार उन मुसाफिरों पर पड़ रही है जो दो माह पूर्व भी अपना टिकिट बुक कराकर रेल यात्रा कर रहे है लेकिन जब वह 25 जून के बाद अपनी यात्रा शुरू करते है तो रेल की मार उन पर शुरू हो जाती है।

यहां 25 जून के बाद बढ़े हुए किराए की बढ़ोत्तरी के लिए टी.टी.ई. द्वारा रसीद कट्टा लेकर 14.2 प्रतिशत का किराया वसूला जा रहा है। चूंक रेल विभाग का फरमान है इसलिए रेल के अधिकारी-कर्मचारियों को भी अपनी ड्यूटी निभानी पड़ रही है। इस किराए की मार से कई यात्री तो अपनी रेल यात्रा तक रद्द करा चुके है लेकिन जिन्हें आवश्यक रूप से अपनी यात्रा करना है वह यात्रा कर रहे है और रेल का बढ़ा हुआ किराया भी दे रहे है।

बीते रोज गुवाहाटी से मॉं कामख्या के दर्शन कर आ रहे कुछ श्रद्धालुओं ने अपनी आपबीती सुनाई और रेल विभाग द्वारा बढ़ाए गए रेल किराए की वृद्धि को गलत ठहराया। गाड़ी क्रमांक 11290 महाकौशल एक्सप्रेस सुपरफास्ट के 3 टियर में दिल्ली से झांसी आ रहे इन श्रद्धालुओं में आनन्द शिवहरे ग्वालियर, श्री मोरे, सोनू सिकरवार, राजेश गोस्वामी, गोपाल सिंह चौहान मड़ीखेड़ा, विनोद धाकड़, हरिशंकर धाकड़, तारांद राठौर, मनीष सेन, राजेश बाथम आदि ने कहा कि इस तरह की बढ़ोत्तरी की जाना उचित नहीं है क्योंकि हमने दो माह पहले रेल टिकिट बुक किए थे और अचानक इन इस तरह रेल वृद्धि कर हमें 880 रूपये अतिरिक्त देने पड़े।

इसी तरह के शिकार अन्य यात्री भी हुए जिन्होंने इस रेल किराए का विरोध किया लेकिन जब उन्हें कानूनी कार्यवाही का हवाला दिया तो सभी यात्रियों ने किराया देने में ही भलाई समझी। हालांकि इसके बाद भी अन्य आम जनमानस में इस बढ़े रेल किराए को लेकर नाराजगी नजर आई। कहा जा रहा है कि फिलहाल भले ही यह किराया महंगा हो लेकिन आगामी समय में इसके सुखद परिणाम आऐंगें अब देखना होगा कि ऐसे कैसे अच्छे दिन आऐंगें..।

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