परिषद की बैठक में कांग्रेसी पार्षदों का हंगामा, नारेबाजी के बीच किया बहिष्कार

शिवपुरी। आसन्न नगरपालिका चुनाव की आहट कहें या सत्ताधारी और विपक्षी दल के बीच बढ़ता अविश्वास लेकिन नगरपालिका परिषद की संभवत् आखिरी बैठक में स्वस्थ लोकतांत्रिक परंपरा का नजारा कहीं देखने को नहीं मिला। वह भी उस स्थिति में जबकि परिषद की बैठक में लगभग सभी मुद्दे विवादहीन थे।
इसके बाद भी चर्चा करने में विपक्षी दल कांग्रेस ने दिलचस्पी नहीं दिखाई और एक सेट प्लान के तहत बैठक की शुरूआत से ही उन्होंने हंगामा शुरू कर दिया। नगरपालिका प्रशासन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए। यहां तक कि भ्रष्ट नगरपालिका मुर्दाबाद के नारे जोरशोर से लगाते हुए कांग्रेसी पार्षद बैठक का बहिष्कार कर गए और बिना चर्चा के ही 28 सूत्रीय एजेण्डा पारित हो गया।    

कांग्रेस की ओर से आक्रमण की कमान मु य रूप से वीरेन्द्र शिवहरे, रामसिंह यादव, अनिल शर्मा अन्नी, संजय गुप्ता, आजाद खां पठान आदि ने मु य रूप से संभाली। यहां तक कि भाजपा पार्षद रत्नेश जैन डिंपल भी उनके पाले में खड़े हुए नजर आए। कांग्रेसी पार्षदों ने सांसद निधि द्वारा लगाए गए बोरों को शुरू न किए जाने सहित सिंध परियोजना, सीवेज प्रोजेक्ट में गड़बड़ी आदि को मु य रूप से निशाने पर लिया। नपा उपाध्यक्ष भानु दुबे की अनुपस्थिति में भाजपा की ओर से कमान नपाध्यक्ष रिशिका अनुराग अष्ठाना ने संभाली जिन्होंने स्त्री सुलभ शालीन लहजे में कांग्रेस के आरोपों का जवाब दिया। बाद में भाजपा पार्षद राजू गुर्जर, भोपाल सिंह दांगी, अनीता भार्गव, सरोज भार्गव, सावित्री यादव ने कांग्रेसी पार्षदों की नारेबाजी का जवाब लगभग उसी लहजे में दिया। 

परिषद की बैठक जैसे ही शुरू हुई कांग्रेस पार्षद वीरेन्द्र शिवहरे और नेता प्रतिपक्ष रामसिंह यादव ने कमान संभाल ली। दोनों का कहना था कि सांसद सिंधिया ने फरवरी माह में बोरों के लिए पैसा दिया है। लेकिन नगरपालिका उन बोरों को दुर्भावनापूर्वक शुरू नहीं कर रही। इस संबंध में भाजपा पार्षद और प्रभारी सीएमओ अशोक शर्मा ने कहा कि चूंकि बोर के लिए पैसा पीएचई को दिया गया है। इस कारण मोटर डालने आदि की जि मेदारी भी पीएचई की है। भाजपा पार्षद हरि सिंह कुशवाह ने तो यह आरोप भी लगाया कि सांसद ने सिर्फ उन वार्डों में बोर के लिए पैसा दिया है जहां कांग्रेसी पार्षद हैं। 

सांसद निधि के बोर का विषय एजेण्डे के बिंदू क्रमांक 1 में था। इस बारे में हालांकि पीएचई को पत्र लिखकर नगरपालिका ने अपनी स्थिति पहले ही स्पष्ट कर दी थी, लेकिन इसके बाद भी सवाल यह है कि यह विषय एजेण्डे में क्यों शामिल किया गया। कांग्रेसी पार्षद हंगामा करते रहे, लेकिन नपा प्रशासन सांसद निधि के बोरों में मोटर डालने के लिए सहमत नहीं हुई। उनका तर्क यही था कि बोर के लिए पैसा दिया है तो मोटरों के लिए भी  सांसद निधि से पैसा दिया जाए। नपा प्रशासन के इस रूख से कांग्रेसी पार्षदों का गुस्सा और बढ़ गया और फिर पार्षद आजाद पठान ने नपा की पेयजल वितरण की सप्लाई पर सवाल खड़े किए। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रभावित इलकों में पेयजल सप्लाई नहीं होता। जबकि गुण्डे, बदमाशों और दबंगों के यहां पानी का टेंकर तुरंत पहुंच जाता है। 

वीरेन्द्र शिवहरे ने सिंध प्रोजेक्ट को रसातल में पहुंचाने का नपा प्रशासन पर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि दोशियान कंपनी को 15 करोड़ रूपये अधिक भुगतान कर दिए गए हैं। इसी कारण वह काम शुरू नहीं कर रहे। सांसद प्रतिनिधि अन्नी शर्मा ने नपा प्रशासन से पूछा कि काम पर प्रतिबंध नेशनल पार्क सीमा में लगा था, लेकिन शहर में दोशियान कंपनी ने काम क्यों रोका। सीवेज प्रोजेक्ट के तहत खुदाई के पश्चात ठीक से लेवलिंग न होने का मुद्दा भी कांग्रेसी पार्षदों ने उठाया। उनका कहना था कि लेवलिंग के समय नपा के अधिकारी मौके पर होने चाहिए। जवाब आया कि यह जि मा पीएचई का है तो कांग्रेसी पार्षदों का उत्तर था कि नपा अपनी जि मेदारी से क्यों बच रही है।

कांग्रेसी पार्षदों के तेवर जब आक्रामक हो गए तो पूर्व पार्षद अजय भार्गव ने अपनी पत्नी सहित भाजपा की महिला पार्षदों को चेताया जिससे वह खड़ी हो गईं और जोर-जोर से चिल्लाने लगीं। उन्हें देखकर भाजपा पार्षदों में भी जोश आ गया और फिर  खुलेआम दोनों तरफ से एक-दूसरे के खिलाफ जोरशोर से नारेबाजी होने लगी। एजेण्डा पीछे छूट गया था उस पर विचार करने की किसी ने फिक्र नहीं की। कांग्रेसी पार्षद रामसिंह यादव ने कहा कि हम यहां रेटों को मंजूर कराने नहीं आए हैं। टेण्डर पहले आपने स्वीकृत कर लिए हैं। अब हमारी स्वीकृति लेकर हमें फंसाना चाहते हैं। यह कहते हुए नारेबाजी तेज हुई और कांग्रेसी पार्षदों ने बैठक का बहिष्कार कर दिया। 

कांग्रेसी पार्षद और नपाध्यक्ष में हुई तीखी बहस
नपाध्यक्ष रिशिका अष्ठाना बैठक में आम तौर पर शंात रहती हैं, लेकिन आज की बैठक में उनकी कांगे्रसी पार्षद वीरेन्द्र शिवहरे से गर्मागर्म बहस हुई। श्रीमती अष्ठाना तब उखड़ गईं जब श्री शिवहरे ने उनसे कहा कि उन्होंने जनता से वायदा किया था कि वे वार्डों में जाकर जन समस्याओं को देखेंगी और उनका निराकरण करेंगी। उन्हें राशनकार्ड से लेकर पेयजल आदि जन समस्याओं पर वार्डों में जाकर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए था। इस पर श्रीमती अष्ठाना ने उनसे कहा कि मैं तो कई बार वार्डों में गई हूं, लेकिन आप मुझे नहीं मिले। इस पर श्री शिवहरे ने कहा कि मैं अपने वार्ड का पार्षद हूं पूरे शहर में जाने की मेरी जि मेदारी नहीं है।