मासूम निगाहें ताड़ती रह गईं, जय जयकार कराकर चले गए सीएम

शिवपुरी। शिवपुरीवासियों को पूरा यकीन था कि आज की तारीख जलावर्धन योजना के मामले में एतिहासिक होगी और शिवपुरी में रुका हुआ काम अब तेजी से आगे बढ़ेगा। लोगों को सीएम पर पूरा भरोसा था जब जैसे ही उन्हें जलावर्धन योजना की दुर्गति के बारे में पता चलेगा वो सबकी क्लास ले डालेंगे, परंतु शिवपुरी की मासूम निगाहें ताड़ती ही रह गईं, सीएम आए और अपनी जय जयकार कराकर चले गए। जलावर्धन योजना पर एक शब्द तक नहीं बोले।

कार्यक्रम में प्रदेश के मुखिया ने कुछ किया हो ना किया हो लेकिन यहां लगभग 242 करोड़ों की शिला पट्टिाकों का जरूर लोकार्पण और शिलान्यस बैठे-बिठाए कर दिया। जबकि शिवपुरी की जनता यहां पानी की त्राहि-त्राहि से त्रस्त है और इसके लिए प्रदेश के मुखिया ने आश्वस्त किया कि प्रदेश और देश में भाजपा की सरकार बनेगी तो अगली बार वह अंचल में पानी लेकर ही आऐंगें लेकिन यहां मीडिया से मुखातिब होते हुए मुख्यमंत्री श्री चौहान ने जरा सा उद्बोधन भी जलावर्धन योजना, सीवेज प्रोजेक्ट को लेकर नहीं दिया, सिवाए भरे मंच से अपनी घोषणाओं की जय-जयकार जरूर सीएम लगाते रहे।

कार्यक्रम में मौजूद प्रभारीमंत्री सुश्री कुसम सिंह मेहदेले ने भी अपने संक्षिप्त उद्बोधन में केवल स्कूल चलें हम अभियान की बात कही लेकिन उन्होंने यह नहीं कि अंचल की सबसे बड़ी समस्या के लिए क्या प्रयास किए जा रहे है। जनता में इससे खासी नाराजगी भी देखने को मिली। लेकिन यहां ना तो प्रभारी मंत्री ने जनता की समस्याओं पर ध्यान दिया और ना ही ऐसी कोई बात कही कि जनता को प्रभारी मंत्री के भाषण से सुकून मिल सके।

कार्यक्रम में विशेष रूप से मुरैना सांसद अनूप मिश्रा, भाजपा जिलाध्यक्ष रणवीर रावत, विधायक प्रहलाद भारती, पूर्व विधायक माखन लाल राठौर, रमेश खटीक, वीरेन्द्र रघुवंशी, जिला पंचायत अध्यक्ष जितेन्द्र जैन गोटू, जनपद अध्यक्ष गगन खटीक, नपाध्यक्ष श्रीमती रिशिका अनुराग अष्ठाना आदि मौजूद रहे। इन सभी अतिथियों में से किसी ने भी अपना उद्बोधन नहीं दिया और ना ही प्रदेश के मुखिया के समक्ष अंचल की समस्याओं को उठाया। ऐसे में यह आयोजन महज खानापूर्ति की तरह होता नजर आया।

यहां एक बार फिर से प्रदेश के मुखिया ने 242 करोड़ की योजनाओं लोकार्पण और शिलान्यास तो कर दिया लेकिन इन योजनाओं का धरातल पर क्या हश्र होने वाला है यह तो आने वाला समय ही बताएगा। फिलवक्त सीएम श्री चौहान ने अधीनस्थम अमले को चेतावनी भरे लहजे में चेताने का काम जरूर किया और कह दिया कि जिन योजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास किया है उसमें पारदर्शिता बरतें और जनता के लिए यह योजनाऐं सौंप दें। महज दिखावे का आधार बना यह पूरा आयोजन केवल शिक्षा पर ही केन्द्रित रहा।

जब मुख्यमंत्री अपने अगले पड़ाव की ओर जा रहे थे तब पत्रकारों ने उनसे जलावर्धन को लेकर होने वाली बैठक की बात कही लेकिन वह इतनी जल्दी में थे कि बैठक तो दूर पत्रकारों के सवालों का जबाब देना भी सीएम ने मुनासिब नहीं समझा आखिरकार इस तरह मुंह फेरकर जाना निश्चित रूप से भविष्य में दु:खद परिणाक का सबक प्रदेश सरकार को मिलेगा। अब देखना होगा कि इस अंचल के नागरिकों की इस पीड़ा को कौन समझेगा या फिर योजना यूं ही अधर में लटकी रह जाएगी।