दोशियान कंपनी के खिलाफ होगी उच्च न्यायालय की अवमानना की कार्रवाई

शिवपुरी। नपाध्यक्ष से लेकर जिले की प्रभारी मंत्री शिवपुरी विधायक यशोधरा राजे और प्रदेश के मुखिया तक को ठैंगा दिखाने वाली दोशियान कंपनी को कलेक्टर शिवपुरी ने अल्टीमेटम दे दिया है कि एक-दो दिन में  काम शुरू नही किया तो कंपनी के मालिक पर उच्च न्यायालय की अवमानना की कार्रवाई की जायेगी।

सूत्र बताते हैं कि इसके बाद कंपनी के महाप्रबंधक हीरेन मकवाना शिवपुरी आ गए हैं और उन्होंने काम शुरू करने के लिए मशीन आदि की व्यवस्था करना शुरू कर दिया है। हालांकि ठेकेदारों का कहना है कि जब तक कंपनी उनकी बकाया राशि का भुगतान नहीं करेगी वे काम शुरू नहीं करेंगे।

मड़ीखेड़ा जलावर्धन योजना पूर्ण न हो पाने के मूल में माधव राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। लगभग 1 साल पहले प्रबंधन ने शर्तों के उल्लंघन का आरोप मढ़ते हुए नेशनल पार्क क्षेत्र में खुदाई और पाइप लाइन डालने के कार्य पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन जनहित में माननीय उच्च न्यायालय ने नेशनल पार्क प्रबंधन के आदेश को निरस्त करते हुए नेशनल पार्क क्षेत्र में जलावर्धन का कार्य शुरू करने का निर्णय दिया।

लेकिन सूत्र बताते हैं कि इसके बाद भी माधव राष्ट्रीय उद्यान के संचालक शरद गौड ने अपना अडिय़ल रवैया नहीं छोड़ा। श्री गौड उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय जाने की बात करते रहे। उन्होंने इस संवाददाता से कहा कि इस बारे में वह कानूनी सलाह ले रहे हैं, लेकिन जब बात नहीं बनी तो उन्होंने योजना के काम में एक और अडंगा लगाते हुए नगरपालिका को पत्र जारी कर दिया।

सूत्र बताते हैं कि पत्र में लिखा है कि नेशनल पार्क क्षेत्र में दिन-दिन में काम किया जाए और सूर्यास्त के बाद काम रोक दिया जाए। नेशनल पार्क में विस्फोटों का प्रयोग कतई न हो तथा यह सुनिश्चित किया जाए कि काम होने पर कोई भी वृक्ष धराशाई न हो अन्यथा काम रोक दिया जाएगा। कुल मिलाकर जलावर्धन योजना के कार्य में नेशनल पार्क प्रबंधन प्रमुख अडंगा बना हुआ है।

नियमों की आड़ में प्रबंधन इस योजना के कार्य को रोकना चाहता है। इस मुहिम के पीछे सिर्फ प्रबंधन है या कोई और भी। नेशनल पार्क संचालक  प्रदेश सरकार के अधीन है। नगरपालिका के एक प्रमुख अधिकारी ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि नेशनल पार्क के वर्तमान संचालक के रहते सिंध जलावर्धन योजना पूर्ण नहीं हो पाएगी।