कैदियों के लिए तीर्थ स्थान है जेल : मुनिश्री महामंत्र सागर जी महाराज

शिवपुरी। जब भी कोई हिन्दू तीर्थ जाएगा तो मॉं वैष्णो देवी जाएगा, मुस्लिम जाएगा तो मक्का मदीना, सिक्ख जाएगा तो स्वर्ण मंदिर और ईसाई जाएगा तो प्रभु यीशू लेकिन जेल तो खुद एक तीर्थ स्थल है जहां सभी धर्मों का समावेश है यहां हिन्दू-मुस्लिम-सिक्ख-इसाई सभी है इसलिए यह तीर्थ स्थल है जेल में रहने वाले कैदी भी सौभाग्य नहीं बल्कि महासौभाग्यशाली है
क्योंकि जेल में तो भगवान श्रीकृष्ण जन्मे थे और नटखट थे जबकि कैदी जेल में आए जो उन्होंने जवानी में नटखटपन दिया इसलिए अपने क्रोध को असंतुलित कर उठाए गए कदम के कारण जेल के द्वार आना पड़ा, फिर भी कोई बात नहीं यह स्थान जीवन में सुधार और प्रभु की भक्ति का स्थान है इसलिए स्वयं मैं भगवान को मानकर परमात्मा बनने का कार्य करें। कैदियों के लिए परमात्मा बनने का यह मार्ग दिखाया परम पूज्य मुनिश्री 108 महामंत्र सागर जी महाराज ने स्थानीय जिला जेल परिसर में जेल के वरिष्ठ उप अधीक्षक व्ही.एस.मौर्य के आग्रह पर कैदियों के कल्यार्थ जेल में आशीर्वचन देने पधारे। कार्यक्रम में एसडीएम डी.के.जैन भी सपरिवार मौजूद रहे जिन्होंने मुनिश्री की आगवानी की।

 इस मौके पर जेल परिसर में कैदियों ने मुनिश्री के समक्ष संकल्प लिया कि वह जेल स बाहर निकलकर बदले की नहीं बल्कि बदलने की भावना से निकलेंगें। इस मौके पर मुनिश्री ने स्वयं व कैदियों की व्या या मॉं-पुत्र के समान दी है जहां उन्हेांने कहा कि आज कैदी जेल में है लेकिन उसकी मॉं आज भी उसके इंतजार में बाहर है वह ना जाने कितनों की सुनती है और उसे बड़ा अपमान सहन करन पड़ता है इसलिए कभी भी ऐसे कार्य ना करें कि जेल के द्वार आना पड़े, उस मॉं के आंचल को हमेशा ध्यान रखे जिसने बचपन में तु हें गीले से हटाकर सूखे में सुलाया और खिलाया लेकिन स्वयं गीले में सोती रही। 

मुनिश्री के इन ्रप्रवचनों से कैदी भी भावविभोर नजर आए। इस मौके पर मुनिश्री ने विभिन्न कथा-कहानियों क माध्यम से कैदियों के जीवन बदलने पर जोर दिया। मुनिश्री महामंत्र सागर जी महाराज ने कहा कि बचपन जीऐं तो श्रीकृष्ण की तरह जीेऐं, जवानी जीऐं तो भगवान राम की तरह जीऐं और जब बुढ़ापा आए तो महावीर की तरह जाऐं। मुनिश्री ने इस दौरान कैदियों को अपनी बुरी संगत से दूर रहने का भी आह्वान किया क्योंकि कई कैदी ऐसे भी है जिन्होंने अपराध नहीं किया लेकिन वह अपराधी के साथ में रहे इसलिए अपराध की श्रेणी में शामिल होकर जेल आए इसलिए संगत अच्छे लोगों से करें, जेल में आकर चिंतन करें और अपने किए अपराध पर पश्चाताप करें तो निश्चित रूप से हर कैदी का जीवन बदल जाएगा। 

कार्यक्रम के अंत में एसडीएम डी.के.जैन व जेलर श्री मौर्य का शॉल-श्रीफल से स मान किया गया। कार्यक्रम सामाजिक संस्था बीपीएम जयहिंद मिशन के बैनर तले आयोजित हुआ। जिसमें समिति के अध्यक्ष व्ही.एस.मौर्य, सचिव आदित्य शिवपुरी के अलावा जैन समाज के रामदयाल जैन, राकेश जैन, राजेश जैन, डॉ.विजय निराला, अजय अग्रवाल, मुरारी लाल, विजय परिहार आदि सहित मीडिया बन्धु व जैन समाज के महिला-पुरूष एवं बच्चे मौजूद थे। कार्यक्रम का सफल संचालन महेन्द्र जैन भैय्यन ने जबकि आभार प्रदर्शन एसडीएम डी.के.जैन ने व्यक्त किया।