मतदाताओं के मौन धारण से जयभान-सिंधिया हुए पानी-पानी

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शिवपुरी। चुनावी बेला में यदि मतदाताओं को झुकाव एक ओर ना होकर दोनों पक्षों की ओर होता है तो ऐसे में कहीं इतिहास बदलने और नया इतिहास दोहराने जैसी नौबत ना आ जाए, इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। क्योंकि वर्तमान परिवेश में जो हालात नजर आ रहे है उससे तो यही आभास हो रहा है कि मतदाताओं के मौन धारण से भाजपा-कांग्रेस पार्टी के दोनों प्रत्याशी पानी-पानी हुए जा रहे है।

घर-परिवार और समाज के साथ-साथ जनता जनार्दन के बीच जहां भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी जयभान सिंह पवैया और उनका पूरा परिवार सामंतवाद की लड़ाई लड़कर सिंधिया परिवार से मुकाबला कर रहा है तो वहीं दूसरी ओर पूरा सिंधिया परिवार ही भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ मैदान में उतर आया है। ऐसे में दो परिवारों की यह राजनीतिक लड़ाई के क्या निहितार्थ निकलेंगें यह मतदाता के मौन स्वरूप से कुछ समझ नहीं आ रहा है।

भाजपा प्रत्याशी के लिए जहां उनकी पत्नि माया सिंह पवैया और बेटी प्रज्ञा पवैया चुनाव प्रचार करने में जुटी है ओर ना केवल शिवपुरी बल्कि अंचल के अन्य क्षेत्रों में भी वह भाजपा के लिए वोट मांग रही है इसके अलावा स्वयं भाजपा प्रत्याशी जयभान सिंह पवैया भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ जीत के लिए मैदान में जोरशोर से लगे हुए है। गुना-शिवपुरी-अशोकनगर जिलों में सभी सीटों पर भाजपा का विजयी अभिायान की शुरूआत करने का मंशा भाजपा प्रत्याशी जयभान की है।

ऐसे में जयभान सिंह पवैया इस रणक्षेत्र में कैसे सफलता प्राप्त कर सकेंगें यह तो भविष्य के गर्त में है लेकिन प्रदेश में शिवराज सरकार का तीसरा कार्यकाल और मोदी लहर का लाभ यदि उन्हें मिल गया तो एक नया इतिहास अंचल में रचा जाने को तैयार है। संभव है कि नए मतदाता जो लगभग 3.50 लाख की सं या में है इनका झुकाव दोनों प्रत्याशियों को अचरज मे डाल रहा है।

दूसरी ओर स्वयं कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया है जो अपने विकास कार्यों के बल पर यह चुनाव लड़ रहे है इसमें उनकी मॉं माधवीराजे, पत्नी प्रियदर्शनी राजे व पुत्र महाआर्यमन भी जोर-शोर से ज्योतिरादित्य के विजयी रथ को बनाए रखने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे है संभव है कि उनके यह परिणाम सार्थक हो लेकिन वर्तमान परिवेश में शिवराज फैक्टर और मोदी लहर का प्रभाव कहीं मतदाताओं पर ना पड़ जाए इसके लिए पूरा सिंधिया परिवार संघर्षरत है।

कांग्रेस पार्टी में कद्दावर नेता के रूप में पहचान बनाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्वयं कभी नहीं सोचा था कि उन्हें इस चुनावी रणभूमि में इस तरह से मुकाबला करना पड़ेगा। चूंकि स्वयं नौजवान होकर युवाओं के चहेते है इसलिए उन्हें अपेक्षा है कि युवा मतदाताओं का झुकाव भी कांग्रेस पार्टी की ओर होगा लेकिन मोदी लहर को वह मान तो नहीं रहे पर युवाओं के बीच यह लहर हवा की तरह लहरा रही है और यदि युवाओं का झुकाव भाजपा की ओर मुड़ गया तो सिंधिया परिवार की आन-बान-शान कहीं चारों खाने चित्त नजर ना आ जाए।

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