समस्याओं से जूझ रही तात्याटोपे की तपोभूमि शिवपुरी

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शिवपुरी। जब-जब हमारी भारत मॉं पर संकट आऐ, तब-तब भारत मॉं के सच्चे सपूतों ने अपनी मातृभूमि की रक्षा अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। यह विचार व्यक्त किए आप पार्टी के अवधेशपुरी गोस्वामी ने जिन्होंने तात्याटोपे के बलिदान दिवस पर अपना वक्तव्य जारी किया।
श्री गोस्वामी के अनुसार आज शिवपुरी एवं तात्याटोपे की शहादत भूमि विभिन्न समस्याओं से जूझ रही है यहां भुखमरी,बेरोजगारी, पानी की समस्या एवं इस पावन नगरी शिवपुरी में कोई भी शहीदों के लिए लडऩे वाला स्थानीय नेता पैदा नहीं हुआ है। मड़ीखेड़ा डैम का नाम महान शहीद तात्याटोपे के नाम पर रखा जाना चाहिए ताकि उनका नाम अमर रहे।

येवला गांव में जन्मे थे तात्याटोपे

अवधेशपुरी गोस्वामी ने बताया कि तात्याटोपे के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका जन्म अहमदनगर जिले के येवला नामक गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था तात्याटोपे का वास्तविक नाम रामचन्द्र था तथा उनके छोटे भाई का नाम गंगाधर था, गंगाधर उन्हें तात्या कहकर बुलाते थे। इसी कारण उनका नाम तात्या पड़ गया। तात्या के परिवार का नाम मेवलिकर था। मराठा शासक वाजीराव ने तात्या से प्रसन्न होकर उन्हें रत्न जडि़त टोपी उपहार में दी। तात्या ने जब वह टोपी पहनी तो वाजीराव ने उन्हें टोपी कहकर पुकारा ओर इस तरह सभी उन्हें टोपी कहने लगे और बाद में उन्हें टोपे कहा जाने लगा। तात्या के पिता पांडुरंग भट्ट वाजीराव के यहां पुरोहित थे। माता का नाम रूकमा बाई था वाजीराव के कोई पुत्र न होने से उन्होंने नाना साहब को पुत्र बना लिया था। तात्याटोपे तथा मोरोपंत की पुत्री मनु का पालन-पोषण साथ-साथ ही हुआ। अंग्रेजी शोषण नीति के कारण भारतीय अंग्रेजी शासन से परेशान हो रहे थे। सन् 1857 ई.में भारतीयों का सब्र का बांध टूट गया था अत: भारत में अंग्रजी शासन के विरूद्ध क्रांति के लिए नानासाहब तात्याटोपे व उनके साथियों ने योजना बनाई। इस क्रांति को सफल बनाने के लिए एक संगठन का गठन किया गया। इस संगठन के सदस्यों ने भेष बदलकर अंग्रेजी छावनियों में जाना प्रारंभ कर दिया। तात्याटोपे ने इस संगठन का संचालन इतनी कुशलता से किया कि अंग्रेजी सरकार को इस संबंध में कुछ पता ना चला।

शहीदों की तपोभूमि भी विकास से कोसों दूर

अवधेशुपुरी गोस्वामी ने कहा कि इतनी महान, तपोभूमि, बलिदाननगरी, शिवपुरी में तो सर्वांगीण विकास होना चाहिए था लेकिन यहां विकास तो छोडि़ए यहां तो जनता बीते 55 वर्ष से पानी की समस्या जूझ रही है। कहते हैं शिवपुरी सिंधिया राजवंश की ग्रीष्मकालीन राजधानी रहा करती थी फिर भी कई क्षेत्रों में पिछड़ी हुई है क्यों? इतिहास के स्वर्णक्षरों में नाम क्रान्तिकारी शहीदों, देश की आन-बान पर मिटने वालों का लिखा जाता है। राजाओं का नहीं, सच्चे शहीद कभी झूठा स्वांग नहीं रचते। अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति हंसते-हंसते दे देते है। लेकिन वर्तमान परिवेश में देशभक्ति, सच्ची निष्ठा, त्याग,बलिदान सब घडिय़ाली आंसू की तरह है जो कि नेता चुनाव के समय बहाते है। देशभक्ति का झूठा स्वांग रचकर देश की अखण्डता एवं भाईचारे को खण्डित करते है। जनता की लड़ाई के लिए तात्याटोपे जैसा क्रांतिकारी चाहिए। जो देश में सच्ची क्रांति ला सके। आज के नेता क्रांति की जगह लोगों में भ्रांति फैलाते है। आज सभी देशवासी भारत मॉं की अखण्डता की रक्षा का प्रण लें और सभी जन महान शहीद के बलिदान दिवस पर अपने श्रद्धासुमन अर्पित महान शहीद को अर्पित करें।


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