राजू (ग्वाल) यादव/शिवपुरी। विगत विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव से यह बात स्पष्ट हुई है कि महल समर्थक मुठ्ठी भर है जबकि महल विरोधियों की लंबी फेहरिस्त हो गई है। बताया जाता है कि शिवपुरी अंचल के अनेकों कद्दावर एवं जनाधार रखने वाले नेता महल अब कट्टर महल विरोधी हो गए है वहीं महल समर्थक बुरे आर्थिक दौर से गुजर रहे हैं और उन पर जनता का समर्थन भी नहीं है।
हाल ही में लोकसभा के चुनाव संपन्न हुए और इस बार कांग्रेस प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी इस चुनाव में भारी मशक्कत करनी पड़ी है। ऐसा प्रतीत होता है कि अब महल की चकाचौंध कुछ कम होने लगी है।
एक दौर था जब कहा जाता था कि महल अगर चुनाव में किसी पेंदें को भी कोई चुनाव लड़ा दे तो उसकी शानदार जीत होगी लेकिन अब ऐसा लग रहा है जैसे समय बदल गया है जिसमें अब तो चाय की गुमठियों पर भी चर्चा होने लगी है कि महल का वर्चस्व खात्मे की ओर बढ़ रहा है। हाल ही में महल वाली बुआजी इन दिनों ह ते भर से चार दिन शिवपुरी में रहीं और शहर के नागरिकों और अराजनैतिक व्यक्ति मुश्ताक भाई और कटारिया जैसों के घर पर उनसे मिलने गई।
चर्चा का विषय यह है कि दिस बर में होने वाले नगर पालिका अध्यक्ष की सीट जहां पिछड़ा वर्ग आरक्षित हो सकती है तो वहीं नगर पालिका वार्डों में परिसीमन भी हुआ है जिससे वार्ड पार्षद के चुनाव में भारी उलट-फेर हो सकता है। राजनैतिक पंडितों की मानें तो संगठन के रवैये और म.प्र. के मंत्रियों की मनमानी के कारण बुआ शिवपुरी शहर में कोई विशेष कार्य विकास की योजना नहीं ला पा रहीं है। पुलिस कप्तान सहित एक दर्जन से अधिक अधिकारियों का तबादला करवाने में भी वे असफल रहीं है। जिसके कारण उनके खिलाफ ऐंटी इनक बेसी का माहौल बनने लगा है। ऐसे में नगर पालिका अध्यक्ष और पार्षदों को जिताने में भारी मशक्कत का सामना करना पड़ सकता है।
राजनैतिक पंडितों का कहना है चूंकि यदि आगामी समय में प्रदेश और केन्द्र में भाजपा की सरकार होगी तो ऐसे में महल नगर पालिका के सभी पदों को राजे की झोली में डालना चाहता है। इससे दो फायदे होंगे एक ओर तो जहां भाजपा शासन के कारण शिवपुरी में विकास के कार्य भाजपा और राजे के प्रभाव से हो जाऐंगें तो वहीं दूसरी ओर नपा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी के हारने से वह सन् 2018 के विधानसभा चुनाव में विधायक का दावेदार भी नहीं रहेगा और सन् 2018 के चुनाव में कोई दमदार कांग्रेसी नेता ना होने के कारण राजे आसानी से चुनाव जीत जाऐंगी।
ऐसा लगता है मानो नगर पालिका को अपनी मुठ्ठी में लेने के लिए राजे ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है और नित नए-नए लोगों के घर जाकर एवं उनसे मिलकर उन्हें अपने प्रभाव में लेना चाहती है। कई पिछड़े वर्ग के नेताओं को अपनी गाढ़ी में बैठाकर उनमें ऊर्जा भी भर रहीं है। शिवपुरी नगर पालिका अध्यक्ष एवं पार्षदों को जिताकर खुद का महिमा मंडन किया जाएगा और जनता को शिलान्यास और लोकार्पणों के माध्यम से यह संदेश दियाजाएगा कि महल का जादूर बरकरार है।
यहां बताया गया है कि यदि नपा की सीट पिछड़े वर्ग से आरक्षित होती है तो यहां बुआजी माखन लाल राठौर, हरिओम राठौर, भागीरथ कुशवाह, मथुरा प्रजापति, कैलाश कुशवाह, सुषमा ओझा, राजू गुर्जर में से किसी एक को चुनाव लड़ा सकती है। चूंकि विधानसभा चुनाव में ग्रामीण क्षेत्र से मिली हार के कारण भी बुआजी का ध्यान अब शिवपुरी शहर की ओर अधिक है।
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