शिवपुरी। पॉलिटिकल प्रेशर में पद का दुरुपयोग कर रिश्वत वसूली कर रहे शिवपुरी नगरपालिका के सीएमओ पीके द्विवेदी को शिवपुरी से बेदखल कर दिया गया है। अब वो रायसेन के पीओ डूडा में नौकरी बजाएंगे। उनके स्थान पर नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव नपं के सीएमओ एके रावत पदभार संभालेंगे।
सनद रहे कि पिछले दिनों एक महिला कर्मचारी की एनओसी के बदले रिश्वत की वसूली करते हुए सीएमओ को लोकायुक्त ने रंगेहाथों गिरफ्तार किया था। सूत्र बताते हैं कि नगरपालिका में चल रही रिश्वतवसूली के मामले में सीएमओ तो केवल एक मोहरा मात्र थे। वसूली का सबसे बड़ा हिस्सा तो किसी और की ही जेब में जाता था। अपनी नौकरी बचाए रखने और भाजपा नेताओं से गठबंधन कर मोटा माल बनाने के जाल में फंसे सीएमओ लगातार वो सारे टारगेट पूरा किया करते थे जो एक अवैध नेताजी की ओर से उन्हें दिए जाते थे। सूत्र तो यह भी दावा करते हैं कि नगरपालिका में हर काम के लिए दाम फिक्स हो गए थे। रेटलिस्ट ओपन थी। सबकुछ खुलेआम हो रहा था, आखिर कोतवाल के सैंया जो भैया हो गए थे, लेकिन जब धरे गए तो अकेले सीएमओ थे। अब प्रशासनिक कार्रवाई का सामना भी उन्हें ही करना पड़ा।
सीएमओ के इस बयान का क्या अर्थ है
शिवपुरी से रायसेन स्थानांतरित किए गए सीएमओ द्विवेदी ने राहत की सांस ली है। उन्होंने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि चलो सूअरों से तो छुटकारा मिल गया। यहां सीएमओ के इस बयान का अर्थ निकाला जाना बहुत जरूरी है। वो इन दो शब्दों के पीछे क्या कुछ कह गए इसका भावार्थ कई लोग अलग अलग निकाल रहे हैं।
क्या आप समझ पा रहे हैं सीएमओ की इस प्रतिक्रिया का असली अर्थ, यदि हां तो नीचे प्रतिक्रिया बक्से में दर्ज करा डालिए, ताकि सबको पता चल जाए।