नगर पालिका के भ्रष्टाचार के भंवर जाल में डुबती जलावर्धन योजना

शिवपुरी। शिवपुरी वासियो की कंठो की प्यास बुझाने वाली योजना का पुर्णता का समय अंगद की पूछ की तरह ल बा होता दिखाई दे रहा है। इस महत्वपुर्ण योजना की पूर्णता को लेकर एडवोकेट पीयूष शर्मा हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटा चुके है।
बताया जा रहा है कि इस योजना का काम नेशनल पार्क प्रबंधन की अड़ंगेबाजी के कारण रुका हुआ है। परन्तु सिक्के का दूसरा पहलु यह भी है कि दोशियान कंपनी काम से ज्यादा पेमेंट ले चुकी है, और भागने वाली है।

नगर पालिका शासन और प्रशासन के भ्रष्टाचार के चलते कंपनी को काम से ज्यादा पेेमेंट मिल चुका है। इस कारण जलावर्धन योजना पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। क्रियान्वयन एजेंसी दोशियान ने आठ माह से योजना से संबंधित सारे काम रोक दिये हैं। न तो शहर में डिस्टीब्यूशन लाइनें डाली जा रही हैं और न ही फिल्टर प्लांट का काम पूरा हुआ है। पानी की टंकियां भी अभी पूर्ण होना शेष है। नगरपालिका ने दोशियान कंपनी को 40 करोड़ से अधिक राशि का भुगतान कर दिया है।

अब सवाल यह उठ रहा है कि इस प्रोजेक्ट में काम करने में समस्या केवल नेशनल पार्क के क्षेत्र में आ रहा है। बाकी काम पुरे शहर में अधुरा है। वहाँ काम दोशियान क पनी क्यो नही कर रही है। अभी योजना समिति बैठक में नेशनल पार्क में खुदाई पर लगी रोक का मामला उठा तो श्री गौड़ ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने स्वीकृति के लिए पत्र भोपाल भेज दिया है और वहां से स्वीकृति की प्रतिक्षा है। प्रभारी मंत्री कुसुम महदेले ने दोशियान कंपनी को चेतावनी दी कि यदि उन्होंने 30 जून तक काम नहीं निपटाया तो उसे काली सूची में डाल दिया जाएगा, लेकिन यह सवाल किसी ने नहीं उठाया कि नेशनल पार्क क्षेत्र के अलावा लगभग 40 किमी क्षेत्र में जो काम रुका हुआ है वह क्यों नहीं पूर्ण किया जा रहा।

जबकि नगरपालिका नियमित रूप से दोशियान कंपनी को पैमेंट कर रही है। बैठक में दोशियान को यह भी हिदायत दी गई कि नेशनल पार्क क्षेत्र में सारी बाधाओं को शीघ्र से शीघ्र पूर्ण किया जाएगा, लेकिन उसके पहले कंपनी पार्क एरिया से बाहर के हिस्से में काम शुरू करे। इसका कंपनी के मैनेजर श्री मकवाना ने सीधा कोई जबाव नहीं दिया, लेकिन यह अवश्य कहा कि बढ़ी हुई प्रोजेक्ट कॉस्ट के कारण कंपनी को 20 करोड़ से अधिक का घाटा हो रहा है। ऐसे हम काम कैसे शुरू करें।

प्रभारी मंत्री ने कंपनी को ब्लैक लिस्टेड करने का अल्टीमेटम दे दिया है। दोशियान कंपनी कानपुर आदि शहर में भी ब्लैक लिस्टेड हो चुकी है, लेकिन यदि इस कंपनी को ब्लैक लिस्टेड किया गया तो योजना पर खतरे के बादल और गहरे हो जाएंगे क्योंकि उस स्थिति में नये सिरे से दूसरी कंपनी को खड़ा करना होगा। ऐसी स्थिति में उचित तो यहीं है कि कंपनी पर दबाव बनाकर उसे ही काम करने के लिए विवश किया जाए,

अगर ऐसा होता है तो इसका पूरा श्रेय नपा अध्यक्ष को जायेगा। क्यो कि इस योजना की मॉनिटरिंग शुरू से ही की नही है कैसे कंपनी को काम से ज्यादा पैमेंट किसके फयादे के कारण हो गया है। अगर पिछले आठ माह से दोशियान कंपनी पूरे शहर का काम बंद कर रखा है। क्यो नपा अध्यक्ष ने कंपनी के ऊपर कार्यवाही नही की है। अगर ऐसा ही होता रहा तो यह योजना नगरपालिका के भ्रष्टाचार के भंवर जाल में डुब जायेगी।