लाखों की टोपी पहना वीरेन्द्र श्रीवास्तव फरार, संकट में अवतार

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शिवपुरी। डेढ़ लाख रुपए के लालच में एक व्यक्ति ने बिना मकान की रजिस्ट्री कराने की बजाय एग्रीमेंट करवा लिया। जब बुधवार को सेंट्रल बैंक की टीम ने पहुंचकर मकान को सील्ड कर उसमें रहने वाले लोगों को बाहर खड़ा कर दिया, तब नए मालिक मकान को मालूम चला कि वह ठगी का शिकार हो गया है।

दरअसल पूर्व के भवन मालिक ने 10 साल पहले बैंक से 1.50 लाख का कर्ज लेकर यह मकान बनवाया था और इस कर्ज को भरे बिना ही उसने मकान एक अन्य व्यक्ति के नाम एग्रीमेंट (बेच) कर रफूचक्कर हो गया। इसके एवज में मकान मालिक ने 2.50 लाख रुपए भी वसूले। बैंक की 1.50 लाख रुपए की राशि ब्याज सहित अब 4 लाख 2 हजार रुपए हो गई है, जिसे वसूलने के लिए बैंक ने आज यह कार्रवाई की।

2 लाख 80 हजार रुपए में मकान बेचकर वीरेंद्र श्रीवास्तव रफूचक्कर हो गया। जब तयशुदा तारीख में रजिस्ट्री नहीं हुई तो अवतार सिंह ने यह सोचकर कि 4 लाख का मकान 2.80 लाख में ही मिल गया, चुप्पी साध ली। इस दौरान बैंक ने अपना कर्जा वापस लेने के लिए जब नोटिस भेजे तो अवतार सिंह ये कहकर जवाब देते रहे कि कर्जा लेने वाला वीरेंद्र श्रीवास्तव है, जो अब भाग गया है।

वीरेंद्र पुत्र जानकीलाल श्रीवास्तव व उसकी मां सरजूबाई ने सेंट्रल बैंक शाखा शिवपुरी से वर्ष 2004 में घर बनाने के लिए 1.50 लाख रुपए का कर्जा लिया था। उक्त राशि से वीरेंद्र ने दो कमरे बनाए थे। कर्ज लेने के बाद वीरेंद्र ने बैंक की कोई किश्त नहीं चुकाई। वर्ष 2007 में वीरेंद्र ने उक्त मकान का 4 लाख रुपए में अवतार सिंह पुत्र हजारा सिंह सिख से सौदा कर दिया। वीरेंद्र ने 2.80 लाख रुपए की राशि लेकर अवतार सिंह के नाम से एग्रीमेंट करवा लिया, जिसमें शेष राशि 1.20 लाख रुपए देकर रजिस्ट्री कराने की तारीख 25 मई 2008 तय की गई थी।

सात दिन पहले नोटिस देकर किया सील

सेंट्रल बैंक ग्वालियर के मुख्य प्रबंधक एमएल अग्रवाल ने बताया कि हमने नियमानुसार सात दिन पूर्व नोटिस दिया। इसके बाद मकान को सील कर दिया। मकान में रहने वाले परिवार का मुखिया बैंक कर्ज की राशि 4 लाख 2 हजार रुपए जमा करने की बात कह रहे हैं, यदि वे राशि जमा कर देंगे तो फिर निर्णय लिया जाएगा।


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