केजरीवाल की राह पर वीरेन्द्र रघुवंशी, जनता से करेगे रायशुमारी

शिवपुरी। अभी हाल ही में शिवपुरी विधानसभा में  यशोधरा राजे सिंधिया से हार स्वाद चख चुके, और सिंधिया से राजनीति का क,ख,ग,सीखने वाले अब वीरेन्द्र रघुवंशी, सिंधिया जी को ही पाठ पढाने के लिए लोक सभा का चुनाव उनके खिलाफ लडने के संकेत दे रहे है। और अपने राजनैतिक भविष्य को फैसला भी स्वंय ना करने हुए केजरीवाल की तरह जनता की राय से करने का फैसला लिया है।

इसका जिक्र करते हुए श्री रघुवंशी ने कहा कि वह जनता और अपने सहयोगियों से पूछकर अपने राजनैतिक भविष्य का निर्णय करेंगे। जनता की इच्छानुसार वह कांग्रेस के दिग्विजय सिंह खेमे, भाजपा अथवा आम आदमी पार्टी में भी शामिल हो सकते हैं। जनता ने आदेश दिया तो वह श्री सिंधिया के खिलाफ लोकसभा चुनाव भी लड़ सकते हैं। वह 8 फरवरी तक कोई बड़ा निर्णय लेंगे।

शिवपुरी विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी यशोधरा राजे सिंधिया के हाथों 11 हजार से अधिक मतों से पराजित पूर्व विधायक बीरेन्द्र रघुवंशी ने कहा कि उनकी हार इसलिए हुई, क्योंकि समूची कांग्रेस ने उनका विरोध किया था। इसके बाद भी जनता में अपनी लोकप्रियता के बलबूते वह 65 हजार मत लेने में सफल रहे।

श्री रघुवंशी ने अपनी हार का ठीकरा कांग्रेसियों खासकर सिंधिया समर्थकों पर फोड़ा है और कहा है कि ऐसे भितरघातियों के बीच वह कैसे राजनीति कर सकते हैं। श्री सिंधिया की सेवा उन्होंने हनुमान की तरह की, लेकिन इसका फल उन्हें क्या मिला? वह कहते हैं कि उनके साथ शिवपुरी, गुना और अशोकनगर जिले के हजारों कांग्रेस कार्यकर्ता हैं जो उनका साथ देंगे। बीरेन्द्र रघुवंशी को सिंधिया के सिपहसालारों में गिना जाता था, लेकिन अब वह घोर सिंधिया विरोधी हो गए हैं। यहां तक कि उन्होंने सिंधिया के खिलाफ आग उगलना भी शुरू कर दिया है और सिंधिया को चेतावनी भी दे रहे हैं कि वह लोकसभा चुनाव में इसका खामियाजा भुगतने को तैयार रहें।

बीरेन्द्र के बयान से कांगे्रस राजनीति गर्माई

केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ बयान जारी कर पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी ने कांग्रेस की राजनीति में तूफान ला दिया है। श्री रघुवंशी सिंधिया के कट्टर समर्थक माने जाते थे और केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य ने विधानसभा उपचुनाव में उन्हें जिताने के लिए समूची भाजपा सरकार से मोर्चा लिया था, लेकिन इसके बाद 2008 और 2013 में हुए चुनाव में बीरेन्द्र रघुवंशी पराजित हुए।

जिपं चुनाव में भी उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा और जिपं अध्यक्ष पद के चुनाव में उनकी धर्मपत्नि श्रीमती विभा रघुवंशी पराजित हुईं तो श्री रघुवंशी ने उस समय के जिला कांग्रेस अध्यक्ष स्व. लाल साहब यादव के खिलाफ मोर्चा खोलकर उनका राजनैतिक अवमूल्यन श्री सिंधिया से करवाया दिया था। श्री रघुवंशी के व्यक्तित्व की सबसे खास कमजोरी यह है कि उनमें धैर्य की कमी है और समय-समय पर वह जिला कांग्रेस अध्यक्ष रामसिंह यादव, पूर्व शहर कांग्रेस अध्यक्ष राकेश गुप्ता के खिलाफ भी मोर्चा खोलते रहे हैं और अपनी मर्जी सिंधिया से मनवाते रहे हैं।