राजे के स्वागत में हौंसला पस्त दिखे भाजपाई

शिवपुरी। वर्ष 2013 के आम चुनाव में शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा की वरिष्ठ नेत्री श्रीमंत यशोधरा राजे सिंधिया को पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व द्वारा टिकिट देकर क्षेत्र में उतारा था। जहंा प्रथम दृष्टया लगा कि इस सीट से चुनाव जीतना राजे के लिए कोई बड़ी बात ना होगी लेकिन प्रतिद्वंदता में खड़े कांग्रेस के वीरेन्द्र रघुवंशी जिनकी क्षेत्र में इस बार खासी जमीनी पकड़ व एक लहर देखने को मिली। 
जिसे स्वयं राजे भी भांप चुकी थी और इससे पूर्व के चुनावों से अधिक इस वर्ष उन्हें अधिक मेहनत के साथ व एक चुनौती के तहत  इस चुनाव को लिया तो कहीं ना कहीं उन्हीं की पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा भितरघात जैसी प्रबल चुनौतीयों का भी सामना करना पड़ा। इन सब के बाबजूद इन्हें अपनी मेहनत के साथ-साथ क्षेत्रीय जनसमुदाय का भरपूर-सहयोग ऐसा मिला कि इस बार राजनीति के बड़े-बड़े गणितज्ञ भी चुनावी परिणाम की घोषणा से पूर्व कुछ भी कहने से परहेज करते नजर आ रहे थे कि किसकी जीत और किसकी हार होगी, जब पता चला कि राजे को 11 हजार मतों से क्षेत्र की जनता ने जीत दिलाई तो विरोधियों के साथ-साथ उनके कुछ पार्टी के भितरघाती नेताओं के चेहरे ऐसे मुरझाए मानो हरी-भरी फसल को पाला मार गया हो। वहीं जीत के महज कुछ ही दिन बाद एक भजापा भितरघाती को तो अपने क्रियाकलापों का प्रमाण पत्र पार्टी ने छ: वर्ष के निष्कासन का थमा दिया। इससे ऐसा लगा कि बचे कुछ भितरघातियों पर ाी आने वाले समय में गाज गिर सकती है और भाजपा फिर से एकजुट नजर आएगी और आने वाले समय में फिर कभी यह वाक्या घटित नहीं होगा। लेकिन जब क्षेत्रीय विधायक जिन्हें जीत के साथ शिवराज सरकार की कैबीनेट में वाणिज्य व उद्योग जैसे अति महत्वपूर्ण विभाग की जि मेदारी सौंपी गई तो लगा कि क्षेत्रीय कार्यकर्ता अपने नेता की इतनी बड़ी जि मेदारी से स्वयं का हौंसला अफजाई समझ हतोत्साहित व खिले चेहरे देखे जा सकते है और वह मौका भी आया जब 24 जनवरी शुक्रवार को क्षेत्रीय विधायक व कैबीनेट मंत्री अपने प्रथम नगरागमन पर आईं तो देखा कि जो स्वागत सत्कार में भाजपाईयों के सतनबाड़ा से लेकर शहर के ग्वालियर वायपास तक जगह-जगह अपने-अपने समर्थकों के साथ गुमटीनुमा दल में मौजूदगी देखी गई तो चेहरों से ऐसा लगा कि  इनके हौंसले पस्त कर दिए गए हों, जबकि इनमें कई चेहरे यह थे कि उन पर किसी भी प्रकार का भितरघाती जैसा आरोप-प्रत्यारोप के छींटे तक भी नहीं पड़े थे बाबजूद इसके यह सब क्यों हुआ, लगता है कहीं कुछ भितरघाती नेता मित्रों के चलते इनके हौंसला पस्त हो रहे। वहीं शहर भ्रमण के दौरान राजे के समर्थन में चल रहे भाजपा के कुछ नेताओं में पूरे समय छिन्न-भिन्न नजर आए। जहां ना तो कोई जोश था और ना ही जो भव्य स्वागत की कुछ समय पूर्व कुछ बड़बोले नेताओं द्वारा जो कहा जा रहा था वह देखने को भी ना मिला। यह सब देख शहर में कुछ चर्चाऐं भी शाम के वक्त सरगर्मीं पकड़ती दिखी। जिसे लोग कह रहे थे कि दूर के ढोल सुहावने होते है की कहावत आज चरितार्थ होती नजर आई।