कोलारस में पानी की तरह बहाया जा रहा है पैसा: चुनाव आयोग बेखबर

शिवपुरी। निष्पक्ष चुनाव के लिए इस बार चुनाव आयोग ने हर छोटी छोटी बातों का ध्यान रखा है परंतु आयोग की तमाम कसरतें शहरों तक ही सीमित​ दिखाई दे रहीं हैं। कोलारस विधानसभा में पैसा पानी की तरह बहाया जा रहा है परंतु अभी तक आयोग की नजर वहां पहुंची ही नहीं पाई। 

कोलारस विधायक देवेन्द्र जैन जो सरेआम अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ दूसरी बार नामांकन फार्म दाखिल करने पहुंचे और अपने साथ सैकड़ों लोगों का काफिला, दर्जनों चार पहिया वाहनों के साथ, नगर से रैली निकालते रहे और हाथों में झण्डे, बैनर, पोस्टर, गले में भाजपा की कमल निशान की टॉवेल, समर्थकों को भोजन कराने के नाम पर खुलेआम जनता को खाने के पैकेट बांटे गए लेकिन चुनाव आयोग की नजर इस ओर नहीं गई।
ये रहा शक्तिप्रदर्शन और मतदाताओं में बांटा गया भोजन

जिले की कोलारस विधानसभा सीट में आज जिस प्रकार से भाजपा प्रत्याशी देवेन्द्र जैन ने अपने समर्थकों और भाजपाईयों के साथ पुन: नामांकन भरकर जो शक्ति प्रदर्शन किया, उसमें कई बार आचार संहिता का उल्लंघन दिखाई दिया। इस आयोजन में एक मोटी रकम खर्च की गई।

बताया जा रहा है कि कोलारस विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी देवेन्द्र जैन के इस शक्ति प्रदर्शन के दौरान जहां सैकड़ों समर्थक थे तो वहीं उनके काफिले के साथ दर्जनों चार पहिया वाहने थे, हाथों में सैकड़ों लोग भाजपा का झण्डा लेकर चल रहे थे, ट्रॉलियों में भर-भरकर भोजन के पैकेट बांटे जा रहे थे, महिलाओं और युवकों व बड़ों को कमल का फूल छपी टॉवल बांटी जा रही थी। जबकि चुनाव प्रचार के दौरान प्रलोभन देना या उपहार बांटना आचार संहिता का उल्लंघन है।

ऐसे में इतना सारा खर्चा कर चुनाव लड़ा जा रहा है और दूसरी ओर चुनाव आयोग ने प्रत्याशी खर्चे के लिए निर्धारित राशि 16 लाख रूपये है। यदि आज के भाजपा प्रत्याशी देवेन्द्र जैन के इस खर्चे को अभी का अभी जोड़ लिया जाए तो यहां भाजपा प्रत्याशी के पास अब अगले 15 दिनों में खर्चा करने के लिए कोई खास रकम शेष नहीं रह जाती। जबकि जमीनी हकीकत यह है कि यह तो केवल एक शुरूआत मात्र है। राजनैतिक सूत्रों का कहना है कि कोलारस का चुनाव करोड़ों में जाकर खत्म होगा।

चर्चा शुरू हो गई है जबकि भाजपा की ओर से पैसा पानी की तरह बहाया जाएगा तो कांग्रेस भी यहां पीछे रहने वाली नहीं है। देखना रोचक होगा कि भाजपा के इस शक्तिप्रदर्शन का कांग्रेस क्या जवाब देती है और आचार संहिता के खुले उल्लंघन के खेल में अब चुनाव आयोग क्या करम उठाता है।