बसपा गड़बढ़ा सकती है तीन विधानसभाओं का गणित

शिवपुरी। जिले की पांच में से तीन विधानसभा सीटों पर बहुजन समाज पार्टी ने लड़ाई को त्रिकोणीय बना दिया है। बहुजन समाज पार्टी शिवपुरी को छोड़कर अन्य चार विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है। शिवपुरी में पार्टी कार्यकर्ताओं के दबाव के बावजूद बसपा प्रत्याशी अतर सिंह लोधी ने अपना नाम वापिस ले लिया।
बसपा कार्यकर्ताओं का आरोप है कि कांग्रेस ने षड्यंत्र रचकर यह खेल खेला। हालांकि कांग्रेस इसका दोष भाजपा पर मड़ रही है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि बसपा के लोधी प्रत्याशी के मैदान में हटने से फायदा भाजपा को ही हुआ है। शिवपुरी और पिछोर में जहां कांग्रेस और भाजपा के बीच मुख्य रूप से संघर्ष माना जा रहा है। वहीं बसपा की मजबूत चुनौती कोलारस, पोहरी और करैरा विधानसभा क्षेत्रों में है।

कोलारस में बसपा ने अपने तयशुदा प्रत्याशी अशोक शर्मा का टिकट काटकर चंद्रभान सिंह यादव को टिकट दिया। श्री यादव स्व. लाल साहब यादव के भाई हैं। जो कि जिला कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके हैं। उनकी उम्मीदवारी ने मुकाबले को काफी रोचक बना दिया है और वह भी भाजपा प्रत्याशी देवेन्द्र जैन तथा कांग्रेस प्रत्याशी रामसिंह यादव के साथ मुकाबले में शामिल हो गए हैं। उन्हें दलित मतदाताओं तथा यादव मतदाताओं पर भरोसा है। जिसका खामियाजा कांग्रेस प्रत्याशी रामसिंह यादव को उठाना पड़ सकता है। हालांकि पिछले चुनाव में रामसिंह महज 238 मतों से पराजित हुए थे। इस कारण उन्हें सहानुभूति लहर का लाभ मिलने की उम्मीद है। भाजपा प्रत्याशी देवेन्द्र जैन को एंटी इनकंबंसी फेक्टर का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन जिस तरह से उनके अनुज जिपं अध्यक्ष जितेन्द्र जैन ने जिपं के फण्ड का उपयोग कोलारस विधानसभा क्षेत्र में किया उससे वह काफी आशान्वित हैं।

पिछले चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी से असंतुष्ट एक बड़े वर्ग ने भाजपा प्रत्याशी देवेन्द्र जैन का साथ दिया था। जिससे देवेन्द्र के मतों में इजाफा हुआ था, लेकिन अब कांग्रेस प्रत्याशी से असंतुष्ट लॉबी बसपा प्रत्याशी के समर्थन में जुटी है। जिसका वोटों की दृष्टि से नुकसान भाजपा को उठाना पड़ सकता है। जहां तक प्रभाव का सवाल है तीनों प्रत्याशी कमोवेश एक जैसे हैं। जनसंपर्क में भी तीनों जान फूंक रहे हैं। इससे मुकाबला काफी रोचक हो गया है और बाजी किसी भी तरफ जा सकती है। पोहरी में भी बसपा को कांग्रेस और भाजपा के असंतुष्ट धड़े का लाभ मिल रहा है। भाजपा प्रत्याशी प्रहलाद भारती विधायक हैं और उनके विरूद्ध एंटी इनकंबंसी फेक्टर काम कर रहा है। भाजपा में एक बड़ा वर्ग उनका टिकट काटने का हिमायती था, लेकिन प्रहलाद को टिकट मिला। इससे असंतुष्ट उन्हें सबक सिखाने के लिए दबे-छिपे बसपा प्रत्याशी लाखन सिंह बघेल के पक्ष में काम कर रहे हैं। श्री बघेल करैरा से विधायक भी रह चुके हैं।

वहीं कांग्रेस प्रत्याशी हरिवल्लभ शुक्ला के खिलाफ लगभग पूरी स्थानीय कांग्रेस थी और कांग्रेसियों ने अल्टीमेटम भी दिया था कि यदि उन्हें टिकट दिया गया तो उन्हें भितरघात का सामना करना पड़ेगा। कांग्रेस प्रत्याशी हरिवल्लभ के खिलाफ अनेक कांग्रेसी काम कर रहे हैं और उनमें से अधिकांश बसपा प्रत्याशी के पक्ष में खड़े हैं। इस कारण पोहरी में भी मुकाबला काफी रोचक हो गया है। यहां बाजी किसी के भी पक्ष में झुक सकती है। भाजपा प्रत्याशी को धाकड़ मतों को अपने पक्ष में धुव्रीकरण कराने और कांग्रेस को ब्राहण मतों को अपने पाले में खींचने का मुश्किल कार्य करना है। जिस प्रवीणता से जो उम्मीदवार अपना काम कर पाएगा उसे फायदा मिलेगा। अन्यथा कांग्रेस और भाजपा की असफलता का लाभ बसपा को मिल सकता है।

करैरा में पिछले चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे बसपा प्रत्याशी प्रागीलाल जाटव फिर मैदान में हैं। पांच साल वह सक्रिय रहे और फिर से जनता से समर्थन मांग रहे हैं। कांग्रेस और भाजपा ने यहां से खटीक उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है। कांग्रेस प्रत्याशी शकुंतला खटीक स्थानीय हैं, लेकिन उन पर दलबदलू होने की छाप लगी है। इस कारण कांग्रेसी उनसे दूरी बना रहे हैं। वहीं भाजपा प्रत्याशी ओमप्रकाश खटीक को स्थानीय न होने का नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में करैरा में कांग्रेस, भाजपा और बसपा के प्रत्याशी संघर्षपूर्ण स्थिति में हैं।

मुहिम का हिस्सा रहा बसपा प्रत्याशी अतर सिंह लोधी
शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र में अतर सिंह लोधी को बसपा का टिकट दिलाना और उसे मुकाबले से हटाना एक ही मुहिम के हिस्से हैं। ऐसा बसपा सूत्र बताते हैं। बसपा के स्थानीय सूत्रों का कहना है कि यहां के संगठन ने बसपा प्रत्याशी के रूप में फईयाज कुर्रेशी का नाम तय किया था। सोच यह थी कि मुस्लिम और दलित मतों के गठजोड़ से कांग्रेस और भाजपा को मुश्किल में डाला जाए। सूत्र बताते हैं कि यह नाम तय भी हो गया था, लेकिन अंतिम क्षणों में प्रदेश बसपा ने स्थानीय संगठन को अतर सिंह लोधी को मेण्डेट देने का फरमान सुनाया और इसी के साथ ही अतर सिंह को टिकट देने और मुकाबले से हटाने का खेल पूरा हो गया।

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